प्लास्टिक रूपी महामारी से भारत ही नहीं दुनिया के ज्यादातर देश त्रस्त हैं। आस्ट्रेलिया के समुद्री किनारे प्लास्टिक और अन्य गैर जरूरी सामानों से भरे हुए हैं। यहां के दूरस्थ कोकोस ( कीलिंग) द्वीप में हिंद महासागर के किनारे करीब 414 मिलियन प्लास्टिक के टुकड़े मिले हैं, जिसमें दस लाख जूते और तीन सत्तर हजार टूथब्रश शामिल हैं। यहां सिर्फ लगभग 500 लोग ही घरों में रहते हैं। इसके बावजूद यह ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र 238 टन प्लास्टिक से भरा हुआ है। यह 27 द्वीपों का समूह ज्यातर निर्जन हैं जो पर्थ से 2,750 किमी (1,708 मील) दूर हैं। यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए बगैर विकसित हुए ऑस्ट्रेलिया का अंतिम स्वर्ग माना जाता है। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वालों में तस्मानिया मरीन इको टॉक्सिकोलॉजिस्ट जेनिफर लावर्स शामिल रही हैं। उन्होंने बताया कि यहां उपभोक्ताओं के अधिकतर एकल उपयोग वाले सामान जैसे बोतल के ढक्कन, स्ट्रॉ, जूते और सैंडल मिले।
लवर्स ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण अब हमारे महासागरों में सर्वव्यापी है। दूरदराज के द्वीपों में प्लास्टिक के मलबे का एक उद्देश्यपूर्ण दृश्य के लिए एक आदर्श स्थान है। इस तरह के द्वीप समूह कोयले की खान में एक भेदिया की तरह हैं। यह तेजी से बढ़ रही हैं। यह हमें चेतावनी दे रही हैं कि हम उन पर कार्रवाई करें। लावर्स ने कहा कि 414 मिलियन प्लास्टिक के टुकड़ों का अनुमान “रूढ़िवादी” है क्योंकि अध्ययन करने वालों ने सिर्फ 10 सेंटीमीटर की गहराई तक नमूना लिया था। इनमें कुछ समुद्र तटों का उपयोग नहीं कर सकते थे, जो सिर्फ मलबों से भरे होने के बारे में जाने जाते हैं। 2017 में लावर्स ने एक अध्ययन में बताया था कि दक्षिण प्रशांत महासागर में दूरस्थ हेंडरसन द्वीप में दुनिया में सबसे अधिक प्लास्टिक का मलबा था। कोकोस (कीलिंग) द्वीपों में हेंडरसन द्वीप की तुलना में प्लास्टिक का घनत्व कम है, लेकिन कुल मात्रा में हेंडरसन द्वीप के 38 मिलियन टुकड़ों से अधिक था जिसका वजन 17 टन था।