आय कर रिटर्न :- ITR दाखिल करते समय कभी ना करें ये गलतियां वरना होगा नुकसान

कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप कारण करदाताओं को राहत प्रदान करने हुए वित्त वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न फाइल करने की समयसीमा को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया गया है। समयसीमा के बढ़ने से करदाता को अपना आयकर रिटर्न भरने के लिए और समय मिल गया है। वित्त मंत्रालय द्वारा रविवार को कहा गया था कि आयकर रिटर्न फॉर्म में बदलाव करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। आइटीआर दाखिल करना एक महत्वपूर्ण वित्तीय काम है। एक करदाता को आईटीआर दाखिल करते समय कुछ गलतियों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं कि वे क्या हैं।

1. आईटीआर दाखिल नहीं करना

सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि लोग आईटीआर दाखिल करना ही भूल जाते हैं। यहां आपको बता दें कि अगर कुल आय बेसिक छूट सीमा से कम हो, तो भी आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य होता है। यदि किसी व्यक्ति ने एक वित्तीय वर्ष के दौरान चालू बैंक खाते (खातों) में 1 करोड़ रुपये से अधिक जमा किए हैं या स्वयं या किसी अन्य व्यक्ति पर विदेश यात्रा में 2 लाख रुपये से अधिक खर्च किए हैं या वर्ष के दौरान भुगतान किया गया बिजली बिल 1 लाख रुपये से अधिक हो, तो आपका आईटीआर दाखिल करना अनिवार्य होता है। वे व्यक्ति जिनके पास भारत के बाहर संपत्ति हैं या वे भारत के बाहर स्थित बैंक खातों के लिए अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं, तो उन्हें भी आईटीआर फाइल करना अनिवार्य है।

2. गलत आईटीआर फॉर्म चुनना

विभिन्न प्रकार के करदाताओं के लिए अलग-अलग आयकर प्रपत्र निर्धारित हैं। ITR-1 (SAHAJ) केवल उन नागरिकों के लिए लागू होता है, जिनकी आय 50 लाख रुपये तक होती है और केवल उन लोगों के लिए जो वेतन, एक घर की संपत्ति और अन्य स्रोतों से आय प्राप्त करते हैं। ITR-3 प्रपत्र व्यवसाय या पेशे से प्राप्त आय के लिए लागू होता है। ITR-4 (SUGAM) कराधान के आनुमानिक मेथड जैसे फ्रीलांसरों के लिए लागू होता है। ITR फॉर्म चुनते समय करदाताओं को सावधान रहना चाहिए। एक गलत फॉर्म टैक्स रिटर्न को दोषपूर्ण तरीके से प्रस्तुत कर सकता है और करदाता को कर विभाग से एक बार फिर से रिटर्न दाखिल करने के लिए नोटिस प्राप्त हो सकता है।

3. आय के सभी स्रोतों का उल्लेख नहीं करना

आईटीआर दाखिल करते समय आय के सभी स्रोतों का उल्लेख करना आवश्यक है, चाहे वह पिछले या मौजूदा रोजगार से प्राप्त आय हो, निवेश से प्राप्त आय हो, एफडी ब्याज की आय हो या बचत खाता ब्याज आय आदि हो। यदि करदाता किसी आय स्रोत की सूचना नहीं देता है, तो टीडीएस प्रमाणपत्र (फॉर्म 16) और फॉर्म 26AS में एक विसंगति दिखाई देगी। कर विभाग इस मामले में करदाता को नोटिस भेजकर बकाया कर के भुगतान के लिए कह सकता है।

4. पूंजीगत लाभ की घोषणा नहीं करना

आईटीआर में पूंजीगत संपत्ति की बिक्री, खरीद और खर्च का पूरा विवरण होना चाहिए। यदि करदाता पूंजीगत लाभ की छूट का दावा करने के लिए निवेश करता है, तो करदाता को निवेश और पूंजीगत लाभ की छूट का विवरण प्रदान करना होगा।

5.नाबालिग की आय को शामिल नहीं करना

यदि करदाताओं ने अपने नाबालिग बच्चे के नाम पर कोई निवेश किया है, तो उन्हें उस आय को ब्याज आय की तरह दिखाना होगा।

6. सभी बैंक खातों की जानकारी नहीं देना

एक करदाता को अपने निष्क्रिय खातों या बंद खातों को छोड़कर भारत में अपने सभी बैंक खातों की घोषणा आईटीआर दाखिल करते समय करनी चाहिए। करदाता उस बैंक खाते का चयन कर सकते हैं, जिसमें वे अपने आयकर रिफंड को प्राप्त करना चाहते हैं।

 

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