अनियमित दिनचर्या के कारण स्त्रियों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अत: शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में उन्हें इन योगासनों का नियमित अभ्यास करना चाहिए।
धनुरासन-
* पेट के बल लेट जाएं।
* घुटनों से पैरों को मोड़ें और दोनों हाथों से पैरों को पकड़ें।
* सांस को अंदर की ओर लेते हुए पैरों को इस तरह ऊपर उठाएं कि हाथ सीधा तना रहे।
* पहले पिछला भाग ऊपर उठाएं, फिर आगे की ओर से उठें। नाभि और पेट जमीन पर ही टिका होना चाहिए। इससे धनुष जैसी आकृति बनाती है। इसी अवस्था में 30 सेकंड तक रूकें और सांस छोड़ते हुए दोबारा सामान्य अवस्था में वापस लौटें। यही प्रकिया 5-6 बार दोहराएं।
फायदे-
यह आसन थॉयराइड ग्लैंड को सक्रिय बनाए रखता है, जिससे स्त्रियों के शरीर में टीएसएच, टी-3 और टी-4 हार्मोन्स के बीच संतुलन बना रहता है।
यह पीसीओडी नाम स्त्री रोग से बचाव में भी मददगार होता है।
इससे अनियमित पीरियड्स की समस्या भी दूर हो जाती है।
यह ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ाता है, इससे शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है।
सीने में खिंचाव के कारण श्वसन-तंत्र संबंधी समस्याओं से बचाव होता है।
इससे शारीरिक-मानसिक तनाव में भी कमी आती है।
न करें-
कमर दर्द, पेप्टिक अल्सर, किडनी स्टोन, हाई बीपी और साइटिका से पीड़ित लोगों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
भुजंगासन-
* पेट के बल लेट जाएं। हाथों को जमीन पर टिकाएं। ध्यान रहे कोहनियां ऊपर की ओर उठी हुई और बाहें सीने से सटी हुई हों।
* पैरों के दोनों पंजे मिलाकर रखें।
* सांस अंदर की ओर लेते हुए नाभि से धड़ को ऊपर की ओर उठाएं, गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं और 30 सेकंड तक रूकें।
* सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे वापस उसी अवस्था में लौट आएं। यही प्रक्रिया 10-12 बार दोहराएं।
फायदे-
इससे ओवरीज़ और यूट्रस की टोनिंग होती है और मेस्ट्रुअल क्रैंप्स में राहत मिलती है।
यह आसन पीरियड्स के दौरान होने वाली हैवी ब्लीडिंग से बचाव में भी मददगार होता है।
न करें-
प्रेग्नेंसी के दौरान यह आसन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जिन स्त्रियों को कम में दर्द हो उन्हें भी भुजंगासन नहीं करना चाहिए।
मर्कटासन-
* पीठ के बल लेट जाएं।
* दोनों हाथों को कंधे के बराबर फैलाएं, हथेलियां खुली और ऊपर की ओर हों।
* पैरों को एकसाथ सटा कर मोड़ लें।
* गर्दन की बांयी ओर घुमाएं और घुटनों को दांयी ओर। बांया घुटना दांये घुटने के ऊपर और बांयी एड़ी दांयी एड़ी के ऊपर होनी चाहिए।
* लगभग 10 सेकंड तक रूकें।
* यह क्रिया 5-6 बार दोहराएं।
फायदे-
इससे फेफड़े, पसलियों और पेट की अच्छी एक्सरसाइज़ होती है और शरीर के नुकसानदेह तत्व बाहर निकल जाते हैं।
यह आसन पीठे के मामूली दर्द से बचाव में भी मददगार होता है।
न करें
जिन्हें गंभीर पीठ दर्द या पैरों में कोई तकलीफ हो उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
पवन मुक्त आसन –
* सीधा लेट जाएं।
* दाएं पैर के घुटने को सीने पर रखें, फिर सांस छोड़ते हुए सिर को उठा कर नाक से घुटने को छुएं। 10 सेकंड तक रुकें। सामान्य अवस्था में वापस लौट आएं।
* दोनों पैरों से यही क्रिया 5-6 बार दोहराएं, चाहें तो पैर एक साथ भी मोड़ सकती हैं।
फायदे-
यह आसन पेल्विक एरिया का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है।
पेट और थाइज़ पर जमे फैट को घटाता है।
न करें-
जिन्हें कमर दर्द या हार्निया की समस्या हो, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए।
सेतुबंध आसन-
* पीठ के बल लेट जाएं।
* घुटने मोड़ें, पैरों के बीच जमीन पर दूरी बनाए रखें, घुटने और एड़ियां एक ही सीध में होनी चाहिए।
* इसके बाद कूल्हों और घुटनों को ऊपर उठाए हुए उसी पोज़िशन में ही बांहों को धड़ के नीचे ले जाएं और हथेलियों को एक-दूसरे से मिलाकर इंटरलॉक कर लें। हथेलियां जमीन को छूनी चाहिए।
* सांस लें और हल्के से पीठ के निचले हिस्से को ऊपर उठाएं। इस दौरान आपकी पीठ के बीच और ऊपर का हिस्सा भी जमीन से ऊपर उठना चाहिए।
* छाती से चिन को छूने की कोशिश करें। शरीर का संतुलन कंधों और भुजाओं पर रखें।
* हथेलियों को इंटरलॉक करें और जमीन पर हथेलियों से धक्का देते हुए, धड़ से हल्का सा ऊपर उठाने की कोशिश करें।
* इसी मुद्रा में 30 सेकंड तक रुकें, धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य अवस्था में वापस लौटें। 6 बार इसका अभ्यास करें।
फायदे-
यह थॉयराइड, आर्थराइटिस, माइग्रेन और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के समाधान में मददगार होता है। यह मेंस्ट्रूअल क्रैंप्स और मेनोपॉज़ के दौरान होने वाली पीरियड्स संबंधी समस्याओं को दूर करने में भी मददगार होता है।
न करें-
जिन्हें हाई ब्लडप्रेशर, घुटने में या गर्दन में दर्द हो उन्हें सेतुबंध आसन नहीं करना चाहिए।