गौतमबुद्धनगर जिले की कोतवाली सेक्टर-49 क्षेत्र में सात व आठ साल के दो बच्चों ने साढ़े तीन साल की मासूम से सामूहिक दुष्कर्म कर दिया। बच्ची के कपड़ों में खून देखकर मां ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया और इसकी शिकायत कोतवाली सेक्टर-49 पुलिस से की। पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लेकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया जहां से दोनों को बाल सुधार गृह भेज दिया गया।
पुलिस के मुताबिक, कोतवाली सेक्टर-49 क्षेत्र के एक गांव में पीड़िता व आरोपियों का परिवार आसपास रहता है। गुरुवार सुबह बच्ची घर के पास ही खेल रही थी तभी पड़ोसी सात व आठ साल के दो बच्चे बच्ची के पास पहुंचे और उसे एकांत में ले गए। यहां उससे सामूहिक दुष्कर्म कर दिया।
कुछ देर के बाद जब बच्ची रोने लगी तो मां उसे लेकर घर पहुंची। बच्ची के कपड़ों में खून देखा तो लगा कि उससे कुछ गलत हुआ है। मां ने बच्ची से पूछा तो उसने दोनों बच्चों के बारे में बताया। बृहस्पतिवार रात को मां कोतवाली सेक्टर-49 पहुंची और पुलिस से शिकायत की।
पुलिस ने बच्ची का मेडिकल कराकर दोनों आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। डीसीपी संकल्प शर्मा ने बताया कि आरोपियों को किशोर न्याय बोर्ड के सामने पेश किया गया जहां से उन्हें बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। बच्ची को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
एनसीआर में किशोरों के अंदर मानसिक विकृति के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। कम उम्र के बच्चों के अंदर यह विकृति पॉर्न साइट देखने से लेकर सोशल मीडिया पर अश्लीलता परोसने के कारण हो रही है। इसके अलावा बच्चों पर कम समय देना व नैतिक शिक्षा की कमी भी इसका बड़ा कारण है। नोएडा पुलिस ने कुछ मामलों में जब तफ्तीश की तो ये बातें जांच में सामने आई है।
वहीं, मनोचिकित्सकों के अध्ययन में भी कुछ इस तरह की बातें ही सामने आई हैं। मनोचिकित्सक डॉ. आरके बंसल का कहना है कि आज के समय में लोगों के पास समय की कमी है और अभिभावक बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। नैतिक शिक्षा की भारी कमी भी है। इस कारण बच्चों में विकृति आ रही है। सोशल मीडिया पर अश्लीलता, पॉर्न साइट की सहज उपलब्धता भी इसका बड़ा कारण है।
सार्वजनिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर नहीं होता अमल
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि अगर नाबालिग कोई घटना करता है तो एफआईआर के साथ-साथ सार्वजनिक सर्वेक्षण रिपोर्ट बनाना आवश्यक है। इस रिपोर्ट में आरोपी किशोर के परिवेश का अध्ययन होता है और किन कारणों से बच्चे ने किसी वारदात को अंजाम दिया। उसके बारे में जानकारी ली जाती है, लेकिन पुलिस सार्वजनिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर अमल नहीं करती है।