जहां खाप पंचायत का दबदबा हो, जहां महिला दर कम हो, वहां की महिला ही अगर देश का नाम गर्व से ऊंचा करे तो बात कुछ और होती है। ऐसा ही कर दिखाया है भिवानी में जन्मी रेसलर बबीता कुमारी फोगाट ने। हालांकि, बबीता फोगाट को रेसलर बबीता कुमारी फोगाट बनाने में अहम योगदान उनके पिता का है, लेकिन मेहनत बबीता ने कड़ी मेहनत और मजबूत इरादों से अपने विरोधियों को चारों खाने चित कर कई तमगे हासिल किए हैं।
बबीता कुमारी फोगाट की बात आज हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज उनका 30वां जन्म दिन है। 20 नवंबर 1989 को बबीता कुमारी का जन्म भिवानी के एक छोटे से गांव में हुआ था। बबीता कुमारी फोगाट के पिता महावीर फोगाट को पहलवानी का शौक था। महावीर चाहते थे कि उनकी पत्नी को बेटा हो, लेकिन दूसरी बार भी उनको बेटी हुई। कुछ दिन तक वे इस गम को अंदर संभाले रखे, लेकिन बाद में उनका मन बदल गया और एक इरादा बन गया कि देश को गोल्ड दिलाना है तो दिलाना है फिर चाहे गोल्ड छोरा लाए या फिर छोरी।
बबीता कुमारी फोगाट और उनकी बड़ी बहन गीता फोगाट ने पिता के इस सपने को साकार किया। गीता फोगाट ने साल 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (CWG) में गोल्ड मेडल जीता। वहीं, बबीता कुमारी फोगाट ने साल 2014 में ग्लास्गो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल हासिल किया। इससे पहले वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में बबीता कांस्य और CWG में रजत पदक हासिल कर चुकी थीं, लेकिन सोने के तमगे की अपनी अलग अहमियत होती है। ऐसे में दो साल बाद उन्होंने गोल्ड मेडल के लिए ही विपक्षी खिलाड़ी को धोबी पछाड़ लगाई।