आखिर साधु क्यों मुंडाते हैं सर, सच्चाई जानकर खा जायेंगे चक्कर

आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप किसी आश्रम में और बाहर भी कई जगहों पर, कुछ भिक्षु अपने सिर पर बाल नहीं रखते और कुछ भिक्षु अपने शरीर का एक भी बाल नहीं कटवाते।

इन दोनों पहलुओं में क्या अंतर है आपने ध्यान दिया होगा कि जब आप किसी पेड़ की छंटाई करते हैं, तो वह पेड़ अपनी ऊर्जा उसी हिस्से पर केंद्रित कर देता है जिसकी छंटाई हुई होती है।

अगले पंद्रह से तीस दिनों के भीतर पेड़ के उस हिस्से में जितने पत्ते आते हैं, वे पेड़ के दूसरे हिस्सों से काफी ज्यादा होते हैं। यही चीज आपके शरीर में होती है। अगर आप अपने बाल मुड़वाएं, तो आप देखेंगे कि आपकी ऊर्जा अचानक ऊपर की ओर जाने लगेगी । एक खास तरह की साधना करने वाले लोग ऐसा ही चाहते हैं।

ऐसा नहीं है कि वे अपनी मर्जी से कभी भी बाल मुड़वा लेते हैं। वे अपने बाल शिवरात्रि को उतरवाते हैं

जो अमावस्या के एक दिन पहले आता है। उस दिन, अमावस्या के दिन और उसके अगले दिन, मानव-शरीर में ऊर्जा ऊपर की ओर उमड़ती है

जिसे हम थोड़ा और धक्‍का लगाना चाहते हैं।

 

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