झारखंड के कई हिस्सों में बिजली गिरने की घटना में 9 लोगों की मौत हो गई। हजारीबाग के तलसवार गांव में खेती कर रहा एक किसान इससे गंभीर रूप से घायल हो गया। गांव वालों ने किसान को गर्दन तक गोबर में गाड़ दिया। एक-डेढ़ घंटे के बाद गोबर से बाहर निकाला गया और बड़कागांव स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां पर इलाज हुआ। क्यों गाड़ देते हैं गोबर में…
बिजली गिरने वाले लोगो को गोबर में गाड़ देते हैं यहाँ
– लोगों का मानना है कि बिजली गिरने से घायल को गोबर में गाड़ने से वह ठीक हो जाता है। जबकि डॉक्टर्स का कहना है कि ऐसा करने से मरीज की जान भी जा सकती है।
-चतरा जिले में अलग-अलग घटनाओं में बिजली गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई। मंगलवार को मयूरहंड में स्व. बेनी महतो की पत्नी सावित्री देवी (50) खेत में धान रोप रही थी तभी बिजली गिरने से मौत हो गई।
-वहीं, टंडवा में सोमवार को इससे बानपुर गांव के मनोज साव की पत्नी रूपा देवी (22), खुटीटोला के बंधन उरांव (35)तथा फुलवा देवी (33) की मौत हो गई।
-रूपा घर के आंगन में काम कर रही थी। हंटरगंज के बलुरी गांव में भी सोमवार शाम वज्रपात का कहर टूटा, कृष्णा पासवान (40) भुटाली भुईयां (35) की मौत मौके पर ही हो गई।
-वहीं, हजारीबाग में घायल किसान लाल बिहारी महतो को गोबर में गाड़ दिया गया। बाद में उसे बड़कागांव स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। जहां पर इलाज हुआ।
पहले भी सामने आ चुके हैं इस तरह के मामले
-कुछ माह पूर्व गुमला (झारखंड) के चैनपुर में खेल रहे चार बच्चों पर आकाशीय बिजली गिर गई थी। घटना में चारों बच्चे बुरी तरह झुलस गए थे।
-इनमें से एक बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई थी। उधर, बाकी तीन बच्चों को इलाज के लिए ग्रामीणों ने गोबर में गाड़ दिया था। लोगों का मानना है कि बिजली लगने के बाद गोबर में गाड़ने से घायल ठीक हो जाता है।
अंधविश्वास से जा सकती है जान
-जब किसी व्यक्ति के ऊपर आसमानी बिजली गिरती है तो उसे कई हजार वाेल्ट का झटका लगता है। डीप बर्न होने से टिशूज डैमेज हो जाते हैं। इसे आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता।
-ऐसे में मरीज को तत्काल इलाज की जरूरत होती है। अंधविश्वास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्ति को गोबर में गाड़ देते हैं। वे मानते हैं कि इससे बिजली का असर कम हो जाएगा। जबकी ऐसा बिल्कुल नहीं है।
-डॉ. एस कुमार जग्गी कहते हैं बिजली का असर नर्वस सिस्टम पर पड़ता है। इसके असर से अपंगता और हार्ट अटैक का खतरा रहता है। गोबर में गाड़ने से मरीज को कोई लाभ नहीं होता, बल्कि देरी होने से उसकी जान खतरे में पड़ सकती है।