बिहार की सियासत में असदुद्दीन ओवैसी अपने पैर जमाने के लिए बेताब हैं. बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने पूरी तैयारी से उतरने का ऐलान कर दिया है.

2015 में महज 6 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली AIMIM ने इस बार के चुनाव में अभी तक 50 सीटों के नाम का ऐलान कर दिया है, लेकिन कैंडिडेट के नाम की घोषणा नहीं की है.
AIMIM के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने अख्तरुल इमान ने मंगलवार को 18 और सीट पर उम्मीदवार उतारने का किया ऐलान है. इससे पहले 10 जून को 32 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा पहले ही कर दी थी. इस तरह ओवैसी की पार्टी ने अब तक 50 विधानसभा सीटों के नामों का ऐलान किया है. इनमें ज्यादातर सीटें मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके की हैं.
AIMIM ने मंगलवार को बिहार की जिन सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की हैं. उनमें बिहार की कोचाधामन, किशनगंज, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, कस्बा, अररिया, नरपतगंज, छातापुर, प्राणपुर, जाले, दरभंगा, सुगौली, भागलपुर, गया, पूर्णिया, धमदाहा, पीरो और मनिहारी विधानसभा सीट शामिल है.
अख्तरुल इमान ने मौजूदा नीतीश कुमार सरकार को विकास विरोधी बताते हुए दावा किया कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी इस बार नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकेगी.
अख्तरुल इमान ने विधानसभा चुनाव में ऐसे किसी भी दल या गठबंधन के साथ तालमेल करने में कोई परहेज नहीं है जो एनडीए के खिलाफ है. अख्तरुल इमान ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव लड़ कर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बीजेपी को मदद पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
बता दें कि बिहार में ओवीसी की पार्टी AIMIM पिछले साल उपचुनाव में खाता खोलने में कामयाब रही है. लोकसभा चुनाव के बाद बिहार के किशनगंज सीट पर हुए चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवार कमरुल होदा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जीत दर्ज की थी.
AIMIM का बिहार के सीमांचल इलाके के मुस्लिम वोटरों के बीच राजनीतिक ग्राफ है. सीमांचल से बाहर न तो पार्टी को कोई जनाधार है और न ही पार्टी को संगठन नजर आता है.
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