हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि बेटी बालिग होने के बाद भी वित्तीय रूप से मां पर निर्भर है। वह अभी पढ़ाई कर रही है। एक बेटा अपना एजुकेशन लोन चुका रहा है, जबकि दूसरा नौकरी तलाश रहा है। महिला ने बेटी के लिए 15 हजार रुपये अतिरिक्त भत्ते की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट और अलग-अलग हाईकोर्ट के फैसलों के आधार पर दिए निर्णय में जस्टिस डांगरे ने कहा कि अविवाहित बालिग बेटी वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर नहीं होने पर पिता से गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है, चाहे वह शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम हो। फैमिली कोर्ट के प्रधान जज याची के दावे पर विचार करें।