दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत हुई है. अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी ने न केवल 62 सीटें जीतीं बल्कि बीजेपी को महज 8 सीटों पर समेट दिया. भारतीय जनता पार्टी के लिए यह हार बेहद चुभने वाली है.
जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर 16 फरवरी को सुबह 10 बजे अरविंद केजरीवाल तीसरी बार शपथ लेंगे, लेकिन इस शपथ ग्रहण समारोह में विपक्ष के दिग्गज नेताओं और मुख्यमंत्रियों की कमी खलेगी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के तीसरे शपथ ग्रहण समारोह के मंच पर विपक्षी नेताओं के एकता वाली तस्वीर दिखाई नहीं देगी. आम आदमी पार्टी सूत्रों के मुताबिक अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में सिर्फ दिल्ली वालों को न्योता भेजा जाएगा. इसका अर्थ यह है कि दिल्ली के बाहर के किसी भी मुख्यमंत्री या किसी दूसरे सांसदों को अरविंद केजरीवाल के शपथ समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं भेजा जाएगा.
अब तक दूसरे कई राज्यों में ऐसा देखा गया है, जहां गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और विरोधी दलों के नेता एक मंच पर विपक्षी एकता की तस्वीर दिखाते सामने आए. हाल ही में झारखंड से लेकर कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण के मंच पर ऐसी ही तस्वीर दिखाई दी जब गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और गैर बीजेपी दलों के बड़े नेता मंच पर दिखाई पड़े लेकिन दिल्ली में ऐसी कोई तस्वीर दिखाई नहीं देगी.
किसी भी दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों को अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए निमंत्रण नहीं दिया गया है. दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में 16 तारीख को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाले अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए पूरे दिल्ली वालों को न्योता दिया है. उन्होंने अपील की है कि वे इस शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लें.
जब मनीष सिसोदिया से पूछा गया कि क्या दूसरे राज्यों के नेताओं को भी बुलाया जाएगा तो जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है. अब आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर फैसला लेते हुए पार्टी ने तय किया है कि वह किसी भी दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्री या दूसरे दलों के नेताओं को अरविंद केजरीवाल के शपथग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए न्योता नहीं भेजेगी. इस कार्यक्रम को सिर्फ दिल्ली की जनता के लिए रखा जाएगा.
इस फैसले का एक राजनीतिक पहलू यह भी है कि अब अरविंद केजरीवाल किसी भी और पार्टी या विचारधारा के साथ खड़े होते नहीं देखना चाहते. दिल्ली के विधानसभा चुनाव में 70 में से 62 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इस बात को लेकर आश्वस्त है कि उसकी राजनीति स्थानीय मुद्दों के दम पर ही आगे बढ़ेगी. इन मुद्दों में शिक्षा, स्वास्थ्य और मुफ्त बिजली-पानी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
ऐसे में आप अब लेफ्ट या राइट की राजनीति का हिस्सा नहीं बनना चाहती और अपने बलबूते आगे बढ़ेगी. इसीलिए एकला चलो की राह पर अरविंद केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह से ही पार्टी अपने विस्तार की नई आधारशिला रखने की तैयारी में हैं. आम आदमी पार्टी अब खुद को किसी भी खेमे के साथ नहीं दिखाना चाहती.