अयोध्या : अबीर-गुलाल चढ़ाकर 492 साल बाद रामलला के दरबार में भव्यता पूर्वक होली मनाने की तैयारी

रामनगरी में इस बार राममंदिर की होली सभी के लिए आकर्षण का केंद्र होगी। होली पर राममंदिर निर्माण शुरू होने का उल्लास हर ओर झलकेगा। 492 साल बाद रामलला की होली मंदिर में होने जा रही है। इसलिए रामलला के दरबार में भव्यता पूर्वक होली मनाने की तैयारी है, ट्रस्ट ने इसकी प्लानिंग भी शुरू कर दी है। होली का स्वरूप क्या होना चाहिए इस पर पुजारियों से चर्चा भी शुरू हो गई है।

बताते चलें कि फैसला आने व राममंदिर निर्माण शुरू होने के बाद टेंट के बाहर अस्थायी मंदिर में विराजमान रामलला की यह पहली होली होगी। 1528 में मुगल सम्राट बाबर के सेनापति मीर बाकी के हमले के बाद रामलला के लिए कोई भी उत्सव परंपरा निर्वहन तक ही सीमित रह गया था। अब 492 साल बाद रामलला के टेंट से बाहर निकलने व अस्थायी मंदिर में विराजमान होने के साथ ही नए युग का आगाज हुआ है।

इसके साथ ही रामनगरी में उत्सव एवं परंपराओं की रौनक भी लौटी है। इसका नजारा इस बार होली पर दिखने जा रहा है। मंदिर में रामलला की पहली होली को लेकर संत-धर्माचार्यों एवं भक्तों में खासा उल्लास है। दूसरी तरफ रामनगरी के मंदिरों में भी इस बार राममंदिर वाली होली का आयोजन किए जाने की तैयारी है। संत-धर्माचार्यों का कहना है कि होली पर राममंदिर निर्माण की खुशी पूरे उत्साह के साथ बयां की जाएगी।

इसकी तैयारी की जा रही है। श्रीराम जन्मभूमि के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि मन यह सोचकर ही प्रसन्न है कि हमारे आराध्य जो तीन दशक तक टेंट में रहे, पर्वों, त्योहारों की भव्यता से दूर रहे अब वह अस्थायी ही सहीं पर मंदिर में विराजमान हैं।

इससे पूर्व होली पर टेंट में विराजमान रामलला को अबीर-गुलाल चढ़ाकर परंपरा का अनुपालन किया जाता था, लेकिन इस बार भक्तों को रामलला के साथ होली खेलने का अवसर मिले ऐसी तैयारी है। बताया कि रामलला को नए वस्त्र धारण कराकर विभिन्न प्रकार के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद अबीर-गुलाल अर्पित कर होली का उत्सव मनाएंगे।

रामनगरी में होली का आध्यात्मिक रंग बिखरता है। संतों की होली में आम होली की तरह रंग-गुलाल तो होता है पर उसके केंद्र में आराध्य होते हैं। रामनगरी में प्रात: आराध्य को गुलाल अर्पित करने के साथ होली की शुरुआत होती है। मध्याह्न आराध्य को भांति-भांति के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। दोपहर में शयन के बाद भगवान को जगाने पर उन्हें नई पोशाक धारण कराई जाती है और उन्हें करीने से गुलाल लगाया जाता है।

तदुपरांत आराध्य के सम्मुख होली गीतों की महफिल सजती है। नगरी के हजारों मंदिरों में इस परंपरा का यथाशक्ति पालन होता है पर कनक भवन, मणिरामदासजी की छावनी, दशरथ महल बड़ा स्थान, रामवल्लभाकुंज, लक्ष्मण किला, जानकी महल, बिड़ला मंदिर, तिवारी मंदिर, नाका हनुमानगढ़ी में इस परंपरा का पूरे भाव से पालन होता है।

राममंदिर निर्माण शुरू होने की खुशी रामनगरी के उत्सव व त्योहारों में बयां हो रही है। इस बार रामलला के दरबार में होली पूरी भव्यता के साथ मनाई जाए, ऐसी योजना बना रही है। इसके लिए रामजन्मभूमि के पुजारियों से बात कर कार्यक्रम की तैयारी की जाएगी। राममंदिर निर्माण शुरू होने से अयोध्या के उत्सव एवं परंपराओं की भव्यता लौटी है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com