पौलेंड पर गिरी कथित रूप से यूक्रेन की मिसाइल को लेकर अब कई देशों की चिंता बढ़ गई है। इसको लेकर कई सवाल भी उठ रहे हैं। इनमें से एक सवाल यूक्रेन के पास मौजूद मिसाइलों की गुणवत्ता और उनके रख-रखाव को लेकर है तो दूसरा सवाल मिसाइल को दागने की तकनीकी क्षमता का है। ये सवाल इसलिए बेहद खास हो गए हैं क्योंकि यूक्रेन के एक छोर पर पौलेंड है तो दूसरे छोर पर रूस की सीमा लगती है। ऐसे में ये सवाल काफी अहम हो गए हैं।
रूस को मिली क्लीन चिट
इस मिसाइल को लेकर अमेरिका ने रूस को जो क्लीन चिट दी है और यूक्रेन पर सीधेतौर पर सवाल खड़ा किया है उससे भी यूरोपीय देशों के कान खड़े हो गए हैं। बता दें कि यूरोपीय देश लगातार रूस से जारी जंग के बीच यूक्रेन को कई तरह की मदद दे रहे हैं। ऐसे में पौलेंड पर गिरी मिसाइल ने इन देशों को इस बारे में दोबारा सोचने पर भी मजबूर कर दिया है। वहीं यूक्रेन की बात करें तो उसने इस बारे में अब तक कुछ भी नहीं कहा है।
पौलेंड के राष्ट्रपति ने भी यूक्रेन की तरफ किया इशारा
अमेरिका के बाद पौलेंड के राष्ट्रपति Andrzej Duda ने भी इस मिसाइल के यूक्रेन द्वारा दागे जाने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि इस बात का काफी चांस है कि इस मिसाइल को यूक्रेन के एयर डिफेंस की तरफ से ही दागा था। राष्ट्रपति ने ये भी कहा है कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये मिसाइल रूस ने दागी थी। ये मिसाइल पौलेंड और यूक्रेन की सीमा के नजदीक Przewodow के एक गांव में जाकर गिरी थी। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी। डूडा ने यहां तक कहा है कि रूस ने यूक्रेन पर सैकड़ों मिसाइलें दागी हैं जिनमें से कुछ पौलेंड की सीमा के नजदीक यूक्रेन में गिरी हैं। पौलेंड में गिरी मिसाइल के बाद राष्ट्रपति डूडो ने नाटो से आर्टिकल 4 के तहत विचार-विमर्श करने को कहा है।
क्या है नाटो का आर्टिकल 4
नाटो संगठन के तय नियमों के तहत आर्टिकल 4 में स्पष्ट किया गया है कि यदि नाटो के किसी सदस्य देश की राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा हो तो सदस्य देश इस पर विचार के लिए आपात बैठक बुला सकता है। हालांकि इस मुद्दे पर पौलेंड के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के विचार कुछ मेल नहीं खाते दिखाई दे रहे हं। राष्ट्रपति जहां आर्टिकल 4 का जिक्र कर रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री Mateusz Morawiecki का कहना है कि मौजूदा हालातों में आर्टिकल 4 को उठाने की कोई जरूरत नहीं है।
पौलेंड-अमेरिका में हुई बात
बता दें कि पौलेंड में गिरी मिसाइल के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति हो बाइडन और पौलेंड के राष्ट्रपति के बीच फोन पर बात हुई है। इसके अलावा नाटो के महासचिव Jens Stoltenberg और ब्रिटेन के पीएम Rishi Sunak ने भी इस बारे में बातचीत की है। सरकार ने इस घटना के बाद सभी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। पौलेंड ने अपने स्तर पर इसकी जांच भी शुरू कर दी है। वहीं रूस ने भी इस मुद्दे पर जांच में अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया है। नाटो ने भी इस मिसाइल को यूक्रेन की बताकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया है।