केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का काम करने का तरीका औरों से काफी भिन्न है. वो सख्त निर्णय लेते हैं और इसे अपनी पार्टी के नेताओं पर भी लागू करने से पीछे नहीं हटते. बिहार में सरकार द्वारा दी जाने वाली सुरक्षा को स्टेटस सिंबल के रूप में देखा जाता है, किन्तु इसमें कटौती कर दिया जाए तो नेताओं के भाव भी कम हो जाते हैं. वहीं, गृह मंत्रालय की तरफ से कई नेताओं की सुरक्षा में कटौती करने का फरमान मिला है.
दरसक, हर तीन महीने में सुरक्षा की समीक्षा की जाती है और इसी आधार पर सुरक्षा आगे बढ़ाई या कम की जाती है. इस बार रिव्यू रिपोर्ट के बाद बिहार के कई नेताओं की सुरक्षा में कटौती कर दी गई है, जिसमें राजद सुप्रीमो लालू यादव, भाजपा के दिग्गज राजीव प्रताप रूडी और लोजपा नेता चिराग पासवान का नाम भी शामिल हैं. इतना ही नहीं कुछ नेताओं की सुरक्षा छीन भी ली गई है, जिनमें प्रमुख नाम पूर्व राज्यसभा सांसद और भाजपा के वरिष्ठ नेता साबिर अली का है.
इनके अतिरक्त पूर्व सांसद पप्पू यादव और पूर्व सासंद वीणा देवी की भी सुरक्षा छीन ली गई है. वहीं अमित शाह के हंटर से झारखंड भी नहीं बच पाया है, झारखंड के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी की सुरक्षा कम कर दी गई है. उन्हें अब केवल झारखंड में ही सुरक्षा दी जाएगी. यदि वो दूसरे राज्यों में जाते हैं तो उन्हें सुरक्षा नहीं मिलेगी.