New Delhi: विदेश मंत्री Sushma Swaraj ने Wednesday को Loksabha में इराक में लापता 39 भारतीयों के मुद्दे पर अपना जवाब दिया। Sushma ने कहा कि उनके पास 39 भारतीयों के मारे जाने या फिर जिंदा होने का कोई ठोस सबूत नहीं है।अभी-अभी: अयोध्या में गरजे सीएम योगी, कहा सबसे बड़े मुस्लिम देश का नेशनल फेस्टिवल है रामलीला
Sushma ने कहा-ना हमें लाशें मिलीं, ना हमें खून के धब्बे मिले। 24 नवंबर, 2014 को मैं सदन में आई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तब ये विषय उठाया। उन्होंने Notice नहीं दिया था लेकिन मैंने बोलने को कहा।
उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति कह रहा है कि वो मार दिए गए। हमारा सोर्स कह रहा है कि वो जिंदा हैं। तो मुझे क्या करना चाहिए। उन्हें मृत मानकर तलाश छोड़ देनी चाहिए या उनकी तलाश जारी रखनी चाहिए। मैं उन लोगों से सीधे संपर्क में नहीं हूं। मेरे पास उनके जिंदा होने के सबूत नहीं है लेकिन मेरे पास उनके मारे जाने के सबूत भी नहीं हैं। अगर हरजीत की बात को सच मानकर मैं सदन से कहना चाहती हूं कि मैं दूसरे रास्ते पर जाऊंगी।”
मैं सदन के साथ शेयर करना चाहती हूं कि हमें तुर्की की मदद मिल सकती है। तलाश करने वाले देशों से खुद प्रधानमंत्रीजी से भी बात की है। हम लोग ये सोचकर आगे बढ़ रहे थे कि हमें उनके जिंदा या मृत होने का पक्का सबूत मिल जाए।
सुषमा ने कहा, लापता लोगों में 4 कैटेगरी के लोग आते हैं- प्रिजनर्स ऑफ वॉर, मिसिंग, किल्ड और बिलीव्ड टू बी किल्ड। जब तक उनके मारे जाने के सबूत नहीं मिल जाते, उनकी फाइल बंद नहीं होगी। ऐसा न करना पाप होगा। मैंने कभी नहीं कहा कि वो जेल में हैं।”
कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय?
इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले हैं। ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे। 2014 में इन्हें आईएस ने किडनैप किया। आरोप है कि इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया। सरकार इनका पता लगाने की कोशिश कर रही है।