अब यह साफ हो चुका है कि कश्मीर के अलगाववादियों को पाकिस्तान धन और हथियार मुहैया करता है। इसी वजह से कश्मीर के हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। वहां के कुछ अलगाववादी नेता आतंकियों से जुड़े हुए हैं। साथ ही उनकी मदद पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आई. एस. आई .करती है। वहां के अलगाववादी नेता कश्मीर के लड़कों को बहला-फुसलाकर उनके हाथ में हथियार दे देते हैं।
NIA : जानबूझकर मनमोहन सिंह ने मूंद ली थी अपनी आंख-
इस काम में उनकी पूरी मदद पाकिस्तान के आका करते हैं अलगाववादियों की पाकिस्तानी फंडिंग को लेकर एन. आई. ए. ने अपनी रिपोर्ट में एक चौकाने वाला खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि 2005 से लेकर 2011 तक अलगाववादियों को आई. एस. आई. की तरफ से लगातार मदद मिल रही थी। वह अपना आतंक का कारोबार बेझिझक चला रहे थे।
तो इनसे मिलने बार-बार विदेश चले जाते हैं राहुल गाँधी
इसके बारे में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पता था, लेकिन उन्होंने जानबूझकर अपनी आंखें मूंद लीं और कुछ नहीं किया। एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट से यह बात भी पता चली है कि 2005 से 2011 के बीच बॉर्डर पार से मिलने वाली आर्थिक मदद को कई बार पकड़ा गया। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री कोई भी एक्शन लेने में नाकामयाब रहे थे।
गर वो चाहते तो उसी समय आतंक पर लगाम लगाई जा सकती थी। अगर उस समय उन्होंने कड़ा कदम उठाया होता तो आज शायद कश्मीर की हालत यह नहीं होती। 2011 में एन. आई. ए. की तरफ से दायर की गयी चार्जशीट के अनुसार इस्लामाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित जो हिजबुल का फंड मैनेजर था, वह लगातार अलगाववादियों को पैसे पहुंचा रहा था।
इसके बाद दिल्ली पुलिस की एक विशेष दल ने पाकिस्तान से हो रहे हवाला कारोबार के 4 लड़कों को करोड़ों रूपये के साथ पकड़ा था। एन. आई. ए. की चार्जशीट में गिलानी के नाम का जिक्र है। लेकिन उस समय की यूपीए सरकार ने ना ही गिलानी को गिरफ्तार करने के कोई आदेश दिए और ना ही कोई अन्य कार्रवाई की। शायद यही वजह है कि कुछ लोग उस समय मनमोहन सिंह को मौनमोहन सिंह कहते थे।