सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल करके उस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की गई है जिसमें सूचना आयुक्तों की निश्चित समयसीमा और पारदर्शी तरीके से नियुक्ति के संबंध में सरकारी अधिकारियों को शीर्ष अदालत के निर्देशों का अनुपालन करने का आदेश देने की मांग की गई है।यह याचिका सूचना का अधिकार (आरटीआइ) कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के जरिये दाखिल की है।

इसमें उन्होंने 16 दिसंबर, 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) और राज्य सूचना आयोगों (एसआइसी) में रिक्तियों को भरने के लिए खुद की जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है। पिछले साल 16 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को तीन महीने के भीतर सीआइसी और एसआइसी में सूचना आयुक्तों को नियुक्त करने के निर्देश दिए थे। साथ ही सूचना का अधिकार अधिनियम का दुरुपयोग रोकने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने की जरूरत जताई थी।
याचिका में भारद्वाज ने कहा है कि शीर्ष अदालत के आदेश का पालन नहीं किया गया है और सीआइसी में रिक्त पदों की संख्या बढ़कर छह हो गई है और मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी 27 अगस्त, 2020 से रिक्त है।
पशु बलि पर प्रतिबंध के ओडिशा हाई कोर्ट के फैसले पर अंतरिम रोक
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा हाई कोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी है जिसमें राज्य के कालाहांडी जिले में छत्र यात्रा पर्व के दौरान पशु बलि पर अंधविश्वास बताते हुए रोक लगा दी गई थी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने भवानी शंकर की इस याचिका पर नोटिस जारी किए हैं।
खास बात- 16 दिसंबर, 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) और राज्य सूचना आयोगों (एसआइसी) में रिक्तियों को भरने के लिए खुद की जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की है।
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