लखनऊ : मुख्यमंत्री व सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का ‘विकास रथ’ इस बार के चुनाव की पथरीली जमीन पर दौड़ाने से पहले ज्योतिषाचार्यों से बेहतर ‘मुहूर्त’ खंगलवाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र से यात्रा शुभ बतायी गयी है।
शुभ मुहूर्त में निकलेगा अखिलेश यादव का चुनावी रथ
सत्तारूढ़ रहते चुनावी समर में कूदने के अपने नफा-नुकसान हैं। संसाधनों की उपलब्धता जहां जनता तक पहुंचाने में फायदेमंद होती है, वहीं जनता के मस्तिष्क में विपक्ष के आरोपों की ओर झुकाव होता है। सपा यह मानकर चल भी रही है मुख्य प्रतिद्वंदी भारतीय जनता पार्टी होगी। मुददे और सवाल नए होंगे। शायद इसीलिए अखिलेश के विकास रथ की शुरुआत का समय नवरात्र निर्धारित किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि विकास रथ जिस ओर कूच करने वाला होगा, उस ओर दो दिन पहले युवा ब्रिगेड की टोली पहुंचेगी, जो उत्तेजक राग और ढोल नगाड़ों की धुन पर तैयार गीत बजायेगी। नुक्कड़ नाटक करेगी। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्रसभा, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड रथ पहुंचने से पहले क्षेत्र में न सिर्फ सकारात्मक वातावरण बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय समस्याएं चिन्हित कर उसकी जानकारी अखिलेश को उपलब्ध करायेगी, भाषणों में उसका उपयोग होगा। अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में नौजवानों पर पर भरोसा जताया था, इस बार भी युवा जोश ही मुख्य भूमिका में होगा।
फर्क सिर्फ यह होगा कि इस बार पांच साल का हिसाब भी देना होगा। अखिलेश इस परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, इसीलिए भाजपा व समर्थक दलों के 73 सांसदों को पत्र लिखकर विकास में सहयोग न करने का उलाहना दिया है तो अपने दल के सांसदों को भी विकास कार्यों में दिलचस्पी लेने का संदेश दिया है।
नवरात्र यानी अक्टूबर में चुनावी अभियान की शुरुरआत का एक कारण अभियान को लगातार अक्षुण्य रखना भी है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दैनिक जागरण से कहा भी कि ‘एक बार रथ पर सवार हुआ तो फिर जनता तक अपनी बात पहुंचाकर लौटूंगा।
हम विकास को मुद्दा बनायेंगे, जनता को केंद्र और राज्य सरकार के विकास की तुलना का मौका मिलेगा। तय उन्हें करना है।वह जोड़ते हैं कि समाजवादी सभी धर्म जाति को सम्मान देने में यकीन करते हैं। रथ पर सवार होने से पहले सभी धर्म गुरुओं और आस्थावानों का आशीष लिया जाएगा।
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