एजेंसी/ नई दिल्ली : निजी कंपनियों द्वारा निर्मित किए गए कंडोम के पैक पर कई तरह की आपत्तिजनक तस्वीरों को लेकर सरकार, सेंसर बोर्ड या दूसरी एजेंसियों द्वारा अनुमति न दिए जाने की बात कही गई है। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई नियम नहीं आया है मगर केंद्र सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा भी दाखिल किए जाने की बात कही गई है।
दरअसल सिनेमेटो ग्राफर एक्ट, केबल टीवी एक्ट एड रूल्स, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया गाइडलाइंस के वर्तमान प्रावधान के अंतर्गत शराब और तंबाकू के उत्पादों हेतु आत्म नियम के ही साथ पूर्व प्रमाणीकरण का संयोजन निर्धारित करने की बात की गई।
इस मामले में पूर्व प्रमाणीकरण का संयोजन निर्धारित किए जाने की बात भी कही गई। यह बात भी सामने आई कि कंट्रासेप्टिव या फिर कंडोम को लेकर इस तरह के मामलों को लंबित करने की किसी भी तरह की योजना नहीं है। हालांकि सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह फिलहाल किसी भी तरह के एडवांस सर्टिफिकेशन के मूड में नहीं है। इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय की बेंच का नेतृत्व करने वाले प्रमुख न्यायाधीश टीएस ठाकुर द्वारा एडीशनल सॉलिसीटर जनरल मनिंदर सिंह को कंडोम पैकेट का परीक्षण करने हेतु आपत्तिजनक तस्वीर को लेकर न्यायालय को जानकारी देने के लिए निर्देशित किया गया।
26 अप्रैल को बेंच ने सरकार से सवाल किए कि आखिर इस तरह के विज्ञापन संचालित करने हेतु आपकी कोई योजना है या नहीं आखिर इस तरह के विज्ञापन संज्ञेय अपराध में आ सकते हैं। इस तरह के सवाल पूछे जाने के ही साथ सर्वोच्च न्यायालय को सूचित करते हुए यह कहा गया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन द्वारा संयुक्त हलफनामा भेजे जाने को लेकर निरोध और डिलक्स निरोध कंडोम के पैक पर वे ही तस्वीर जारी करने के निर्देश दिए जाऐंगे जो सब्सिडाइज्ड रेट पर उपलब्ध करवाए जाऐंगे।