मिश्रिख के बलियापुर गांव में रहने वाले किसान कैलाश प्रसाद के बेटे अश्विनी का इसी माह 19 जून को तिलक है। 23 जून को शादी है। इस शादी के कार्ड जब कैलाश के सगे-संबंधियों तक पहुंचे तो यह कार्ड सुर्खियां बन गया।
लड़की बार बार माफ़ी मांगती रही पर दरिंदों को रहम नहीं आयी.
कार्ड पर सबसे ऊपर शराब पीकर बारात में न आने का अनुरोध छपवाया गया है। ज्यादातर लोग इस अनूठी ‘पहल’ की सराहना कर रहे हैं।
कैलाश का मानना है, कि शादी से दो जिंदगियों का नया जीवन शुरू होता है। शुरुआत किसी भी काम की हो उसमें किसी भी तरह की बुराई शामिल नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि नशे के दुष्परिणामों को देखते हुए शादी के कार्ड पर यह संदेश छपवाने का विचार आया। समाज में विरोध के डर से एक बारगी तो ऐसा न करने का सोच लिया, फिर ख्याल आया किसी भी अनहोनी को टालने के लिए यह कदम उठाना बेहद जरूरी है।
हालांकि लोग कैलाश के इस सामाजिक संदेश को काफी पसंद कर रहे हैं। कैलाश समाज के लिए एक मिसाल बन गए हैं।
कुछ अनोखा करने में माहिर
अनोखी पहल से सुर्खियों में आने वाली जिले की यह पहली शादी नहीं है। इससे पहले भी सीतापुरियों ने कुछ अलग करने की धुन में एक शादी को चर्चित किया है।
दरअसल, मार्च 2015 में जिले के कमलापुर में एक शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन को ‘तोहफे’ में अरहर की ‘दाल’ दी गई थी। उस समय महंगाई के सारे रिकार्ड तोड़ने वाली अरहर की दाल 200 रुपये प्रतिकिलो में बिक रही थी। शादी के तोहफे में दाल दिया जाना खूब सुर्खियों में रहा था।
स्वच्छता अपनाने की अपील भी…
शादी के कार्ड पर साफ-सफाई रखने की अपील भी की गई है। कैलाश बताते हैं, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान से प्रेरित होकर स्वच्छ भारत और एक कदम स्वच्छता की ओर लोगो भी छपवाया है। ताकि शादी-विवाह में अक्सर दोना-पत्तल से होने वाली गंदगी को रोकने में मदद मिले।