रूस सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली की अंतिम खेप की आपूर्ति करने में लगातार देरी कर रहा है।चीन की ओर से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत अपनी वायु शक्ति क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मिसाइल प्रणालियों की खरीद कर रहा है।भारत ने रूस से पांच मिसाइल प्रणालियों की खरीद के लिए 2018 में 5.5 अरब अमेरिकी डालर का सौदा किया था।
यूक्रेन युद्ध के कारण रूस सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली की अंतिम खेप की आपूर्ति करने में लगातार देरी कर रहा है। हालांकि, आधिकारिक सूत्रों की मानें तो नई समय सीमा के तहत भारत को प्रणाली की दो इकाइयां अगले साल तक मिल जाएंगी।
चीन की ओर से बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत अपनी वायु शक्ति क्षमताओं को बढ़ाने के लिए मिसाइल प्रणालियों की खरीद कर रहा है। भारत ने रूस से पांच मिसाइल प्रणालियों की खरीद के लिए 2018 में 5.5 अरब अमेरिकी डालर का सौदा किया था। इनमें से तीन लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों को रूस भारत को सौंप चुका है।
2021 में भेजी थी पहली यूनिट
रूस ने दिसंबर 2021 में मिसाइल सिस्टम की पहली इकाई की आपूर्ति की थी। इन्हें चीन की सीमा के कुछ हिस्सों के साथ-साथ पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जा चुका है। सूत्रों को मानें तो भारत को रूस निर्मित दो युद्धपोतों में से पहले युद्धपोत तुशिल की आपूर्ति सितंबर में मिलने की उम्मीद है और दूसरे युद्धपोत तमल की आपूर्ति रूस द्वारा जनवरी में की जाएगी।
हालांकि, पहले दोनों जहाजों की आपूर्ति 2022 तक होनी थी लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति में लगातार देरी हो रही है। रूस 2018 में हुए चार युद्धपोत सौदे के तहत स्टील्थ युद्धपोत की आपूर्ति कर रहा है और शेष दो भारत में बनाए जा रहे हैं।
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