इस बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए ‘डॉल्फिन प्रोजेक्ट’ को शुरू करने का ऐलान किया था.
प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘हम नदी और समुद्री डॉल्फिन दोनों पर फोकस कर रहे हैं. यह जैव विविधता को मजबूत करेगा, रोजगार के अवसर पैदा करेगा. इससे पर्यटकों को आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी.’ बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के इस ऐलान से पहले ही पर्यावरण मंत्रालय इसकी तैयारियों में जुटा हुआ है. राज्य सरकार से इस संबंध में पूरा विवरण मांगा गया है.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तेजी से घटती प्रजातियों के संरक्षण और संरक्षण को प्रोत्साहन देने के लिए 10 साल का “प्रोजेक्ट गैंगेटिक डॉल्फिन” लॉन्च करेगा. यह परियोजना वैज्ञानिक संरक्षण के तरीकों के माध्यम से नदी प्रदूषण को कम करने और स्थायी मत्स्य पालन पर फोकस होगी. इससे नदी पर आश्रित आबादी को लाभ मिलेगा.
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया, ‘प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को ऐलान किया था. उसके मद्देनजर अगले 15 दिनों में डॉल्फिन प्रोजेक्ट को लॉन्च किया जाएगा.’
बता दें कि गंगा नदी के मीठे पानी में पाई जाने वाली डॉल्फिन समुद्री डॉल्फिन की ही एक प्रजाति है. यह मुख्य रूप से भारत, नेपाल और बांग्लादेश में गंगा, ब्रह्मपुत्र नदियों और उनकी सहायक नदियों में पाई जाती है.
अभी देश के जिन राज्यों अथवा वहां से होकर गुजरने वाली नदियों में गैंगेटिक डॉल्फिन पाई जाती है, उनमें असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल है. इस परियोजना के तहत देश में अगले 10 वर्षों सालों तक डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर अभियान चलाया जाएगा.
विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार, गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन आधिकारिक तौर पर 1801 में खोजी गई थी. स्तनपायी डॉल्फिन केवल मीठे पानी में रह सकती हैं. इन्हें दिखाई नहीं देता है.
अल्ट्रासोनिक ध्वनियों के उत्सर्जन के जरिए ये छोटी मछलियों को अपना शिकार बनाती हैं. गंगा नदी में डॉल्फिन बहुतायत मात्रा में पाई जाती थीं लेकिन शिकार और प्रदूषण की वजह से इनकी संख्या कम होती चली गई.