आर्थिक सर्वेक्षण द्वारा केन्द्र सरकार मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान आर्थव्यवस्था का हाल संसद और देश के सामने रखती है. इस सर्वे में केन्द्र सरकार वित्त वर्ष के दौरान 9 महीनों के आर्थिक आंकड़ों के आधार पर आर्थिक ग्रोथ का अनुमान जारी करने के साथ-साथ अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ का आंकलन देती है. लिहाजा, वार्षिक बजट 2018-19 से पहले जारी यह आर्थिक सर्वे देश के सामने अर्थव्यवस्था का वह ताजा सूरते हाल रखती है जिसे आधार मान कर केन्द्र सरकार अपना वार्षिक बजट तैयार करती है.
बजट से पहले जानें वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान अर्थव्यवस्था की हालत
1. नवंबर 2017 में साल दर साल के आधार पर नॉन फूड क्रेडिट ग्रोथ एक बार फिर 4 फीसदी पर पहुंच गई है. वहीं कॉरपोरेट सेक्टर को बॉन्ड मार्केट और गैर बैंकिंग तरीकों से क्रेडिट फ्लो में 43 फीसदी का इजाफा दर्ज हुआ है.
2. ग्रामीण इलाकों में मोटर साइकिल और ऑटो सेल के आधार पर डिमांड में सुधार दिखाई दे रहा है हालांकि यह सुधार अभी इन आंकड़ों को नोटबंदी के पहले के स्तर पर नहीं ले जा सके हैं.
3. मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में इंपोर्ट और एक्सपोर्ट में मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान सुधार देखने को मिला है. वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान एक्सपोर्ट ग्रोथ 13.6 फीसदी पर रहा जबकि इंपोर्ट सुस्त होकर 13.1 फीसदी रहा. यह आंकड़ें ग्लोबल ट्रेंड पर हैं और साफ संकेत दे रहे हैं कि नोटबंदी और जीएसटी का का असर कम हो रहा है.
4. खासतौर से नोटबंदी के बाद अब कैश-जीडीपी रेशियो में स्थिरता है और संतुलन आने के साफ संकेत हैं. इसे सपोर्ट करते हुए जून 2017 से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में भारतीय करेंसी रुपया नोटबंदी के पहले की स्थिति में है. रुपये में लौटी यह स्थिरता भी नोटबंदी के प्रभाव खत्म होने का संकेत है.
5. केन्द्र सरकार के सर्वे के मुताबिक क्लाइमेट चेंज की चुनौतियों के चलते अगले कुछ वर्ष किसानों के लिए चुनौती भरे हो सकते हैं और उन्हें आमदनी में नुकसान उठाने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. क्लाइमेट चेंज से किसानों को औसतन 15 से 18 फीसदी का नुकसान हो सकता है वहीं अनइरीगेटेड क्षेत्रों में किसानों को 20 से 25 फीसदी के नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.
6. सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक देश की टॉप 1 फीसदी कंपनियां देश का कुल 38 फीसदी एक्सपोर्ट करती है. वहीं अन्य देशों में ये आंकड़ा भारत से खराब है. ब्राजील में टॉप एक फीसदी कंपनियां 72 फीसदी एक्सपोर्ट, जर्मनी में 68 फीसदी, मेक्सिको में 67 फीसदी और अमेरिका में 55 फीसदी एक्सपोर्ट करती हैं.