थोक मूल्य आधारित (WPI) महंगाई नवंबर में बढ़कर नौ महीने के उच्च स्तर 1.55 फीसदी तक पहुंच गयी है. अक्टूबर में यह 1.48 फीसदी थी. नवंबर के दौरान आलू सहित तमाम सब्जियों के दाम में काफी तेजी आयी है. एक साल पहले यानी 2019 के नवंबर में थोक महंगाई सिर्फ 0.58 फीसदी थी.

खाद्य वस्तुओं के दाम में थोड़ी नरमी आयी है, लेकिन मैन्युफैक्चर्ड वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से महंगाई में इजाफा हुआ है. फरवरी 2020 के बाद यह WPI महंगाई का सबसे ऊंचा स्तर है. फरवरी 2020 में WPI महंगाई 2.26 फीसदी थी.
नवंबर महीने में खाद्य महंगाई घटकर 3.94 फीसदी पर आ गयी, अक्टूबर में यह 6.37 फीसदी थी. हालांकि सब्जियों के दाम में 12.24 फीसदी का इजाफा हुआ. आलू के दाम में तो 115.12 फीसदी की जबरदस्त बढ़त हुई. गैर खाद्य वस्तुओं की महंगाई 8.43 फीसदी रही. दूसरी तरफ, ईंधन और पावर बास्केट की महंगाई में 9.87 फीसदी की गिरावट आयी है.
गौरतलब है कि इस महीने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक ने यह आशंका जतायी थी कि आगे भी महंगाई ऊंचाई पर बनी रहेगी. रिजर्व बैंक ने कहा था कि दिसंबर में खत्म तिमाही में खुदरा महंगाई 6.8 फीसदी तक जा सकती है.
थोक महंगाई दर अक्टूबर में 1.48 फीसदी रही थी जो इसके पिछले 8 महीनों का सबसे उच्चतम स्तर था. अक्टूबर में भी महंगाई दर बढ़ने में सबसे बड़ी वजह मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की कीमतों में तेजी थी. सितंबर में थोक महंगाई दर (WPI) 1.32 फीसदी रही थी. पिछले साल अक्टूबर में महंगाई दर ज़ीरो थी.
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