विश्व दर्शन दिवस को हर साल नवंबर माह के तीसरे बृहस्पतिवार को मनाया जाता है। इस साल यूनेस्को ने मुख्य विषय (Theme) ‘बहुसंस्कृति वाले विश्व में दार्शनिक प्रतिबिंब’ घोषित किया है। इस मौके पर आइए जानते हैं MA (फिलॉस्फी) करने वाले वाले स्टूडेंट्स के लिए एकेडेमिक जॉब के विकल्पों में शामिल लेक्चरर और असिस्टेंट प्रोफेसर के बारे में।
आज, 16 नवंबर 2023 को ‘वर्ल्ड फिलॉस्फी डे’ मनाया जा रहा है। हम सभी के विचारों, सास्कृतिक संवर्धन और व्यक्तिगत विकास में दर्शनशास्त्र के महत्व को दर्शाने वाले विश्व दर्शन दिवस को हर साल नवंबर माह के तीसरे बृहस्पतिवार को मनाया जाता है। वर्ष 2005 में शुरूआत के बाद से हर साल मनाए जा रहे विश्व दर्शन दिवस के लिए इस साल यूनेस्को ने मुख्य विषय (Theme) ‘बहुसंस्कृति वाले विश्व में दार्शनिक प्रतिबिंब’ घोषित किया है। यह विषय विभिन्न संस्कृतियों में आपसी समझ और संवाद को बढ़ावा देने में दर्शन की भूमिका को उजागर करता है।
ऐसे समय में जबकि विश्व दर्शन दिवस पर वैश्विक स्तर पर दर्शन के हमार जीवन में महत्व पर चर्चाएं हो रही हैं, देश के तमाम विश्वविद्यालयों एवं डिग्री कॉलेजों में दर्शनशास्त्र में मास्टर्स कर रहे या एमए फिलॉस्फी कर चुके छात्र-छात्राओं के लिए हम लेकर आए हैं पीजी के बाद एकेडेमिक जॉब ऑप्शंस की जानकारियां। वैसे तो फिलॉस्फी में करियर का या जॉब ऑप्शन कोई अलग नहीं है लेकिन एकेडेमिक में फिलॉस्फी टीचिंग एक अच्छा ऑप्शन माना जाता है।
फिलॉस्फी में MA के बाद BEd करके बन सकते हैं लेक्चरर
ऐसे सभी स्टूडेंट्स जो कि किसी मान्यता प्राप्त उच्च शिक्षा संस्थान से दर्शनशास्त्र में पीजी कर रहे हैं या एमए डिग्री प्राप्त कर चुके हैं, वे इसके बाद बीएड करके विभिन्न संस्थानों में फिलॉस्फी में लेक्चरर पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। केंद्र सरकार के विभागों और संस्थानों के लिए भर्ती करने वाले संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के एक भर्ती विज्ञापन (सं.21/2022) के मुताबिक न्यूनतम 50 फीसदी अंकों के साथ एमए (फिलॉस्फी) उत्तीर्ण करने वाले कैंडिडेट्स बीएड या बीएलएड या डीएलएड करके लेक्चरर (फिलॉस्फी) पद के लिए आवेदन के पात्र होते हैं। इसके अतिरिक्त 38 वर्ष अधिकतम आयु सीमा की शर्त भी पूरी करनी होनी है, जिसमें आरक्षित वर्गों के उम्मीदवारों को छूट दी जाती है।
एमए फिलॉस्फी के बाद NET क्वालिफाई करके बनें असिस्टेंट प्रोफेसर
इसी प्रकार, एमए (फिलॉस्फी) उत्तीर्ण करने के बाद यदि किसी छात्र या छात्रा की इच्छा किसी विश्वविद्यालय या डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की है तो उसे किसी और कोर्स को करने के आवश्यकता नहीं होती है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नियमों के अनुसार आयोग द्वारा हर साल दो बार आयोजित की जाने वाली राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET) को दर्शनशास्त्र विषय के लिए उत्तीर्ण करके देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों में असिस्टेंट प्रोफेसर (फिलॉस्फी) के लिए पात्रता अर्जित की जा सकती है।
हालांकि, विभिन्न राज्यों के राज्य लोक सेवा आयोग या किसी अन्य परीक्षा निकाय द्वारा आयोजित की जाने वाली राज्य स्तरीय पात्रता परीक्षा दर्शनशास्त्र में उत्तीर्ण करके भी उस राज्य के विश्वविद्यालयों या डिग्री कॉलेजो में असिस्टेंट प्रोफेसर (फिलॉस्फी) की भर्ती के लिए उम्मीदवार योग्य हो जाते हैं।