संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि मौजूदा अल नीनो की दशा दुनियाभर में रिकार्ड तापमान और मौसम से जुड़ी घटनाओं को बढ़ावा देगी। यूरोपीय संघ की कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार वैश्विक औसत तापमान जनवरी में पहली बार पूरे वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया। इसबार अल नीनो के कमजोर रुख के बावजूद वैश्विक जलवायु को प्रभावित करेगी।
इस साल मार्च और मई के बीच तापमान औसत से अधिक रहेगा। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने मंगलवार को कहा कि वर्ष 2023-24 की अल नीनो अब तक के पांच सर्वाधिक प्रचंड अल नीनो में से एक होने का रिकार्ड कायम किया है। अल नीनो के कमजोर रुख के बावजूद आने वाले महीनों में वैश्विक जलवायु को प्रभावित करना जारी रखेगी।
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि मौजूदा अल नीनो की दशा दुनियाभर में रिकार्ड तापमान और मौसम से जुड़ी घटनाओं को बढ़ावा देगी। यूरोपीय संघ की कापरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार, वैश्विक औसत तापमान जनवरी में पहली बार पूरे वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया।
अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना
हालांकि, पेरिस समझौते में 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार करना तापमान बढ़ोतरी को संदर्भित करता है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने कहा कि मार्च-मई के दौरान अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना है। अप्रैल से जून के दौरान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) की 80 प्रतिशत संभावना है। इसमें कहा गया है कि साल के अंत में ला नीना विकसित होने की संभावना है लेकिन ये संभावनाएं फिलहाल अनिश्चित हैं।
इस साल मानसून की बारिश 2023 की तुलना में होगी अच्छी
भारत में घटनाक्रम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि जून-अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस साल मानसून की बारिश 2023 की तुलना में अच्छी होगी। अल नीनो से आशय मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का समय-समय पर गर्म होने से है और यह औसतन हर दो से सात साल में होता है तथा आमतौर पर नौ से 12 महीने तक रहता है।
2023 के बाद से हर महीने तापमान ने एक नया रिकार्ड बनाया
डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि जून 2023 के बाद से हर महीने तापमान ने एक नया रिकार्ड बनाया है और वर्ष 2023 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकार्ड किया गया है। विज्ञानियों का कहना है कि अल नीनो का वैश्विक जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव इसके उत्पन्न होने के दूसरे साल देखने को मिलता है और अबकी बार वर्ष 2024 में इसका प्रभाव दिखेगा। वर्तमान अल नीनो जून 2023 में विकसित हुई, नवंबर और जनवरी के बीच सर्वाधिक प्रचंड थी।