WHO कैसे तय किसी बीमारी का सामुदायिक प्रसार, इसका जवाब आपके लिए जानना जरूरी

देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। देश में रोजाना 30 हजार से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। वहीं संक्रमितों की संख्या बढ़कर 10 लाख से अधिक हो चुकी है। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) हॉस्पिटल बोर्ड ऑफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. वीके मोंगा का कहना है कि देश में कोरोना का सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है। यह बीमारी ग्रामीण इलाकों में भी फैल रही है और यह देश के लिए खराब स्थिति है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि देश अभी तक सामुदायिक प्रसार की स्थिति तक नहीं पहुंचा है।

डब्ल्यूएचओ की परिभाषा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सामुदायिक प्रसार को उन क्षेत्रों के रूप में परिभाषित करता है, जिनमें कारकों के आकलन के आधार पर स्थानीय स्तर पर प्रकोप होता है और यह सीमित नहीं होता। वहीं बड़ी संख्या में मामले ऐसे होते हैं जो ट्रांसमिशन चेन से नहीं जुड़े होते हैं और प्रहरी प्रयोगशाला की निगरानी से बड़ी संख्या में मामले सामने आते हैं। साथ ही कई क्षेत्रों में असंबंधित कलस्टर होते हैं। यह परिभाषा औसत मापदंडों के संदर्भ में छोटी पड़ती है, जैसे दस लाख मामलों की संख्या जिसे जनसंख्या की परवाह किए बिना देशों में मानक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।

कई बड़े देशों ने स्वीकारा

इटली, ब्राजील और यहां तक की अमेरिका जैसे देशों में जहां पर सामुदायिक प्रसार को स्वीकारा है। वहीं भारत में 1.3 अरब से अधिक की जनसंख्या के संक्रमण के कम अनुपात का हवाला देकर यह दावा किया जाता है कि यहां सामुदायिक प्रसार नहीं हुआ है। दिल्ली और कर्नाटक जैसे राज्यों से कुछ विरोधी आवाजें कहती हैं कि सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है। कर्नाटक के कानून और संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी का दावा है कि राज्य सामुदायिक प्रसार की चपेट में है। हालांकि उनकी ही सरकार अलग राय रखती हैं। वहीं केरल में मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा है कि तिरुवनंतपुरम में सामुदायिक प्रसार शुरू हो चुका है।

टेस्ट बढ़ने से बढ़ी संख्या

आइएमए का कहना है कि देश में संक्रमण के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं और साप्ताहिक आधार पर करीब दो लाख मामले जुड़ रहे हैं। ऐसे में यह देश में सामुदायिक प्रसार के शुरू होने का साफ संकेत है। हालांकि लोगों का मानना है कि देश में परीक्षण दर बढ़ने के कारण मामलों की संख्या में भी काफी तेजी आ चुकी है। अब रोजाना करीब साढ़े तीन लाख टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं।

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