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माइक्रोसॉफ्ट में अपने चीन के ऑफिस में कर्मचारियों को एंड्रॉइड के बजाय आईफोन का इस्तेमाल करने का आदेश दिया है। इसको पूरी तरह से लागू करने के लिए कंपनी कर्मचारियों को iPhone 15 डिवाइस दे रही है। अब सवाल उठता है कि आखिर माइक्रोसॉफ्ट इतना खर्चा क्यों कर रहा है। यहां हम आपको इसी सवाल का जवाब देने जा रहे हैं।

टेक्नोलॉजी जगत में एक अच्छा नाम कमाने वाली कंपनी माइक्रोसॉफ्ट अपनी सिक्योरिटी चिंताओं को लेकर बहुत सतर्क रहने लगी है। इसके चलते कंपनी ने कई ऐसे बदलाव किए है, जो साइबर सिक्योरिटी और डेटा ब्रीच जैसी समस्या को दरकिनार करने में मददगार होगा।

नई मीडिया रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि माइक्रोसॉफ्ट चीन में अपने ऑफिस में साइबर सिक्योरिटी को और पुख्ता करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए कंपनी ने एक जरूरी सुरक्षा उपाय लागू करने की तैयारी कर ली है। अब चीन ऑफिस में एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा। इसके बजाय आईफोन का इस्तेमाल होगा।

कर्मचारियों के फोन पर बैन

माइक्रोसॉफ्ट ने फैसला किया है कि अब कर्मचारी ऑफिस संबंधी कार्यो में एंड्रॉइड के बजाय iPhone का इस्तेमाल करेंगे।
सितंबर महीने से कंपनी चीन ऑफिस कैम्पस में Android-संचालित डिवाइस से कॉर्पोरेट एक्सेस को बैन कर देगी।
ये फैसला Microsoft की ग्लोबल सिक्योर फ्यूचर इनिशिएटिव (SFI) का हिस्सा है।
इस इनिशिएटिव का उद्देश्य एम्प्लॉई साइबर सिक्योरिटी प्रैक्टिस को हासिल करना है।\

कर्मचारियों को मिलेगा iPhone 15

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि चीन में काम करने वाले कर्मचारियों को जल्द ही कार्य कंप्यूटर या फोन में लॉग इन करते समय आईडी वेरिफितकेशन करना होगा।
इसके लिए उन्हें केवल Apple डिवाइस का ही उपयोग करना होगा।
यह फैसला चीनी और विदेशी मोबाइल इकोसिस्टमस के बीच बढ़ते अंतर को उजागर करता है।
बता दें कि चीन में Apple के iOS स्टोर की सुविधा उपलब्ध है, मगर Google Play उपलब्ध नहीं है।
प्ले स्टोर की कमी के कारण Huawei और Xiaomi जैसे लोकल स्मार्टफोन ब्रांड्स अपने प्लेटफॉर्म को पेश कर रहे हैं।
सीधे शब्दों में कहें तो Microsoft का ये फैसला देश में Google की मोबाइल सेवाओं की कमी के कारण आया है।
कर्मचारियों के लिए इस फैसले को आसान बनाने के लिए कंपनी कर्मचारियों को iPhone 15 डिवाइस दे रही है।

साइबर सिक्योरिटी एक बड़ा कारण
यह कदम Microsoft के लिए बढ़ती सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर उठाया गया है।
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट है कि कंपनी को राज्य प्रायोजित हैकर्स से बार-बार हमलों का सामना करना पड़ा है। इसने जनवरी में दर्जनों अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को प्रभावित किया।

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