प्रधानमंत्री ने कहा कि दावोस में भारत की शुरुआत 1997 में हुई थी जह तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा दावोस पहुंचे थे. तब से लेकर अब तक भारत की जीडीपी 6 गुना हो चुकी है. उस वक्त इस मंच का स्लोगन था बिल्डिंग दि नेटवर्क सोसाइटी. आज हम सिर्फ नेटवर्क सोसाइटी ही नहीं बल्कि बिग डेटा, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस के युग में जी रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1997 में बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम सुना था और कंप्यूटर से हारने का डर शतरंज के खिलाड़ियों में नहीं था. उस वक्त इंटरनेट पर आपको जंगल और नदियों के बारें में जानकारी मिलती थी.
आज दो दशकों के बाद हमारा समाज एक जटिल नेटवर्क से बंधा है, उस वक्त भी दावोस अपने समय से आगे था और आज भी वह आगे है. इस वर्ष क्रिएटिंग अ शेयर्ड वर्ल्ड इसका थीम है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के प्लेनरी सेशन में कीनोट एड्रेस के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंच पर पहुंच चुके हैं. सेशन की शुरुआत करते हुए स्विटजरलैंड के राष्ट्रपति अलेन बर्सेट ने ग्लोबल इकोनॉमी बदलाव के दौरान से गुजर रही है.
हालांकि राष्ट्रपति बर्सेट ने कहा कि विकास की दौड़ में हमें अंधकार को गले नहीं लगाना है. हमारी कोशिश होनी चाहिए कि विकास का फायदा सोशल इंक्लूजन के जरिए समाज में सभी वर्गों तक पहुंचे.
मौजूदा समय में डेटा के बड़े पहाड़ तैयार हैं और उनके नियंत्रण की कोशिशें की जा रही है. माना जा रहा है कि जिसके पास डेटा का अधिकार होगा वहीं दुनिया के शीर्ष पर काबिज होगा.
विज्ञान, तकनीकि और आर्थिक तरक्की के नए आयामों में समाज को आगे बढ़ाने का दम है लेकिन इससे मानवता को बांटने का काम भी किया है. इससे शांति और समृद्धि का संतुलन भी बिगड़ गया है.
गरीबी, बरोजगारी और प्राकृतिक संसाधनों के नियंत्रण की समस्या से पूरी दुनिया जूझ रही है. हमें सोचना है कि क्या हमारी अर्थव्यवस्था समाज में दरारों को तरजीह तो नहीं दे रही है.
हजारों साल पहले संस्कृति में लिखे ग्रंथों में भारतीय चिंतकों ने लिखा है कि वसुधैव कुटुंबकम यानी पूरी दुनिया एक परिवार है. लिहाजा हम सब एक ही परिवार की तरह बंधे हुए हैं. हमें एक साझा सूत्र जोड़ती हैं. आज दुनिया में दरारों और दूरियों को मिटाने में वसुधैव कुटुंबकम की सोच बेहद कारगर है. लेकिन हमारे बीच सहमति का अभाव है.
पीएम मोदी ने कहा कि जब दुनिया के सामने कोई साझा चुनौती आए तो सभी को एकजुट होकर उनका सामना करने की जरूरत है. पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के सामने क्लाइमेट चेंज की बड़ी चुनौती है और हम इससे लड़ने के लिए अभीतक एकजुट होकर प्रयास नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरा रिश्ता है. हजारों साल पहले भारत में मानव मात्र को भूमि माता पुत्रो अहम पुत्र यानी हम सभी पृथ्वी की संतान हैं. यदि ऐसा है तो आज हम पृथ्वि की संतानों में युद्ध क्यों चल रहा है?
भारत को 2022 तक 100 गीगा वॉट बिजली का उत्पादन करना है. एक तिहाई लक्ष्य को हम प्राप्त कर चुके हैं. इंटरनैशनल एलाएंस की पहल पर हमारी यह कोशिश अब सफल हो चुकी है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती आतंकवाद है. आतंकवाद से दुनिया की सभी सरकारें परिचित हैं. इनके दो आयामों पर पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद जितना खतरनाक है उससे भी अधिक खतरनाक है गुड टैरेरिस्ट और बैड टैरेरिस्ट के बीच भेद. और दूसरी समस्या पढ़ें-लिखे लोगों का आतंकवाद में लिप्त होना.
ग्लोबलाइजेशन की चमक धीरे-धीरे कम हो रही है. संयुक्त राष्ट्र अभी भी मान्य है लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने संगठन क्या आज के मानव की आकांक्षाओं को परिलक्क्षित करते हैं?
ग्लोबलाइजेशन के प्रवाह का रुख बदला जाए. द्वपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौते रुक चुके हैं. क्रॉस बॉर्डर ट्रेड भी कम हो रहा है. इस चिंताजनक स्थिति का हल टकराव और दरार में नहीं है. इसका हल मौजूदा हालात को मानना और समझने में है.
भारत के 60 करोड़ मतदाताओं मे 2014 में पहली बार किसी एक राजनीतिक पार्टी को केन्द्र में इतना बड़ा मैनडेट दिया है. हमने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की नीतियों के बदलने की कवायद की है. इसी का नतीजा है कि भारत में निवेश करना, कारोबार करना, टूरिज्म के लिए जाना इत्यादि पहले की तुलना में बहुत आसान हो चुका है.
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में रेड टेप हटाकर रेड कार्पेट बिछाया जा रहा है. ज्यादातर क्षेत्रों में ऑटोमैटिक रूट के जरिए विदेशी निवेश को मंजूरी दे दी गई है. भारत में बीते तीन साल के अंदर सैकड़ों पुराने और बेकार हो चुके कानून को हटाने का काम किया है. देश में पार्दर्शिता को बढ़ाने के लिए देश में जीएसटी लागू किया गया है.
भारत के लोग और भारत के युवा 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण में सक्रिय हैं. इनोवेशन के जरिए वह जॉब सीकर नहीं जॉब गिवर बनेंगे. पीएम मोदी ने कहा कि भारत की रैंकिंग और रेटिंग में हुए सुधार से दुनिया परिचित है. देश में स्वेच्छा से सब्सिडी का त्याग किया है. ऐसे अनेक प्रमाण भारत की आर्थिक विकास की गाथा सुनाता है.
विश्व की बड़ी ताकतों के बीच सहयोग के संबंध हो. साथ ही उनके बीच प्रतिस्पर्धा कहीं दीवार बनकर नहीं खड़ी होनी चाहिए. दूसरी जरूरत है कि नियमों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना पहले से ज्यादा जरूरी हैं. पीएम ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सुधार तुरंत किया जाना चाहिए. साथ ही विश्व की आर्थिक प्रगति में और तेजी लाने की जरूरत है.
महान भारतीय कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने हैवन ऑफ फ्रीडम की कल्पना की है. लिहाजा उस आधार पर हमें भी दुनिया की अनावश्यक दिवारों और दरारों से मुक्त करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ें. पीएम मोदी ने कहा कि वेल्थ के साथ वेलनेस चाहिए तो भारत आइए. हेल्थ के साथ होलिनेस चाहते हैं तो भारत में आएं.
राष्ट्रपति बर्सेट ने कहा कि दुनिया को पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स में बैलेंस बनाने की जरूरत है. इस दिशा में हमें विश्व की समस्याओं को गौर करने की जरूरत है. बर्सेट ने कहा कि ह्यूमन राइट्स डेमोक्रेसी के रास्ते पर चलते हुए हमें दुनिया की समस्याओं को हल करने की जरूरत है.
स्विट्जरलैंड से कई मुद्दों पर बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक से इतर स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट से मुलाकात की और उनसे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने के तरीकों पर चर्चा की. मोदी ने एक ट्वीट कर कहा, ‘दावोस पहुंचने पर मैंने स्विस कन्फेडरेशन के राष्ट्रपति एलेन बर्सेट से बातचीत की. हमने द्विपक्षीय सहयोग की संभावनाओं की समीक्षा की, इसे और मजबूत बनाने पर बात की.’
करीब 60 CEOs ने लिया बैठक में हिस्सा
इसके अलावा ‘इंडिया मीन्स बिजनेस’ टैगलाइन के तहत हुए इस राउंड टेबल मीटिंग में वैश्विक कंपनियों के 40 और भारत के 20 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘दावोस में भारत के विकास की कहानी बताते और भारत में वैश्विक व्यापार के लिए मौजूदा अवसरों की चर्चा करते पीएम मोदी.’
WEF को मोदी के भाषण का इंतजार
WEF अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंड ने इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, ‘हम प्रधानमंत्री के भारत और दुनिया को लेकर मिशन के बारे में सुनने के लिए उत्सुक हैं. ये हमारे लिए महत्वपूर्ण दौरा है.’
भाषण से पहले खुशखबरी!
पीएम नरेंद्र मोदी के दावोस पहुंचने से पहले ही भारत के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है. अंतरर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को उम्मीद जताई है कि 2018 में भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहेगी. खास बात यह है कि इसी दौरान चीन की वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहेगी. इस तरह भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं मे सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
मोदी संग पहुंचा है बड़ा प्रतिनिधिमंडल
उनके साथ इस सम्मेलन में सबसे बड़ा प्रतिनिधिमंडल भी दावोस पहुंचा है. इसमें 6 केंद्रीय मंत्री, 100 सीईओ और कुछ मुख्यमंत्री भी शामिल हैं. इस प्रतिनिधिमंडल के लिए खाना बनाने की जिम्मेदारी ताज होटल ग्रुप के शेफ की टीम को दी गई है. यह टीम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी खाना बनाएगी. खास बात यह है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल के लिए भारत से 32 शेफ की टीम और 1,000 किलो मसाले भी दावोस ले जाए गए हैं.