इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में इली लेवेतलो ज्वालामुखी के फूटने से आसमान में चार हजार मीटर तक धुएं और राख का गुबार देखा गया। इस ज्वालामुखी विस्फोट के चलते 26 गावों के 2780 लोगों को घरबार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
जकार्ता। प्राकृतिक आपदाओं के लिहाज से यह साल बेहद खराब रहा है। चाहे वह जंगल की आग हो या तूफान कई देशों पर प्रकृति की तगड़ी मार पड़ी है। अब प्राकृतिक कोप का निशाना इंडोनेशिया बना है। इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में इली लेवेतलो ज्वालामुखी रविवार को फूट गया जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा है। समाचार एजेंसी आइएएनएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ज्वालामुखी के फूटने से आसमान में चार हजार मीटर तक धुएं और राख का गुबार देखा गया।
एजेंसी फॉर वोल्कोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन के हवाले से समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने कहा है कि ज्वालामुखी के फटने के बाद आसपास के इलाके को हाई अलर्ट जारी किया गया है। विस्फोट के बाद पूरब से पश्चिम की ओर राख और धुएं का गुबार पूरी तरह से आसमान में छा गया। समुद्र तल से 1,018 मीटर की ऊंचाई वाले इस ज्वालामुखी आसपास दो किलोमीटर के दायरे में किसी भी गतिविधि से बचने को कहा गया है।
ज्वालामुखी रविवार को सुबह करीब 10.45 बजे फटा जिसका का आयाम 35 मिमी था। समाचार एजेंसी रॉयटर के मुताबिक, आसपास के लोगों से इलाके को खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। इंडोनेशिया की आपदा शमन एजेंसी ने कहा है कि इस विस्फोट के चलते 26 गावों के 2,780 लोगों को घरबार छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। हालांकि इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, स्थानीय हवाईअड्डों को बंद किए जाने की चेतावनी जारी की गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा वक्त में दुनिया में सबसे ज्यादा इंडोनेशिया में करीब 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं। इस ज्वालामुखी से लावा और जहरीली गैसें निकल रही हैं। हाल ही में फिलिपींस में ताल ज्वालामुखी में विस्फोट हुआ था जिसके बाद 16,700 लोगों को सुरक्षित ठिकानों पर ले जाया गया था। यह विस्फोट इतना भयानक था कि इसकी राख 70 किलोमीटर दूर राजधानी मनीला तक पहुंच गई थी। विस्फोट के बाद फिलीपींस में अलर्ट घोषित कर दिया गया था और सैंकड़ों विमान सेवाएं प्रभावित हुई थीं।