वेंकैया नायडू ने शिखर सम्मेलन में लिया हिस्सा

पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कहना है कि हर हालात में सकारात्मक व रचनात्मक नजरिया बनाए रखना राष्ट्र निर्माण के लिए जरूरी है। समाज को औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलकर नए भारत के निर्माण में सहयोग करना चाहिए। नकारात्मक दृष्टिकोण से कभी स्वस्थ नतीजे नहीं मिल सकते। पूर्व उपराष्ट्रपति शुक्रवार को चाणक्यपुरी में सकारात्मक नेतृत्व पर आयोजित राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में बोल रहे थे।

युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की नसीहत देते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि युवाओं को देश के विभिन्न हिस्सों के जाकर अपने असली राष्ट्रीय नायकों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्हें इतिहासकारों ने नजरअंदाज किया। अंग्रेजों ने रॉबर्ट क्लाइव को एक महान नायक के रूप में चित्रित किया और छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, झांसी की महारानी, अल्लूरी सीताराम राजू, कोमाराम भीम, वीर पांडिया कोट्टाबोम्मन, रानी चेन्नम्मा और भारत के कई अन्य महान नायकों की भूमिका को कम महत्व दिया।

वेंकैया नायडू ने मिशन पॉजिटिविटी की सराहना की, जिसकी शुरुआत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य डीएम मुले ने की है। इस मिशन के साथ सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में काम करने वाले 250 से अधिक संगठन काम कर रहे हैं।

चाणक्यपुरी स्थित सिविल सर्विसेज ऑफीसर्स इंस्टीट्यूट में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रुपाला, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति मदन लोकुर, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव आनंद पाटिल, परमवीर चक्र से सम्मानित कारगिल युद्ध के नायक योगेन्द्र यादव, मैरिएट इंटरनेशनल की वाइस    प्रेसीडेंट डॉ रंजू झा एलेक्स, पद्मश्री ड्रम्स शिवमणि और डीएम मुले भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान दीपा देशमुख, एमएल चौगले, आभा चौधरी, गायत्री पाठक, जशवानी, लाल बहार, डॉ भारती पाटिल, कशिश भारद्वाज और रजत कपूर को चैंपियंस ऑफ पॉजिटिविटी अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।

सकारात्मक होने पर ईश्वर हमेशा साथ होते हैं : न्यायमूर्ति लोकुर
न्यायमूर्ति मदन लोकुर ने कहा कि इंसान के सकारात्मक होने पर ईश्वर हमेशा उसके साथ होते हैं। वे हर बाधा दूर कर देते हैं। कोई न कोई रास्ता खुल जाता है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती दिनों का किस्सा साझा किया। उन्होंने 1977 में वकालत शुरू की। शुरुआती दिनों में इन्हें एक साथ चार कोर्ट में एक ही समय में मुकदमे की सुनवाई करने की जिम्मेदारी मिल गई। पहले तो वे घबराए, लेकिन फिर धैर्य के साथ एक कोर्ट में पैरवी करने पहुंचे। उस दिन बाकी की तीन कोर्ट में तकनीकी कारणों से सुनवाई ही टल गई। इस घटना से इन्हें हमेशा सकारात्मक रहने की सीख मिली। उन्होंने डीएम मुले के अभियान की सराहना की।

अच्छाइयों के साथ आगे बढ़ना चाहिए : रुपाला
केंद्रीय मंत्री परशोत्तम रुपाला ने कहा कि हमें जीवन में अच्छाइयों को लेकर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के कई अनुभव साझा किए। गुजरात के दो किस्से सुनाए, कैसे लोग कठिन परिस्थितियों में अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रामायण के जटायु से हमें सीखना चाहिए। जटायु को पता था, वह रावण के सामने ज्यादा देर टिक नहीं पाएगा, फिर भी गलत के खिलाफ प्राण दांव पर लगाकर खड़े होने का निर्णय लिया।

हर व्यक्ति के अंदर अच्छाई होती है : डीएम मुले
भारत सरकार के पूर्व सचिव व वर्तमान में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य डीएम मुले ने कहा कि हर व्यक्ति के अंदर अच्छाई होती है। ऐसे लोगों में से कुछ मणियों को चुनकर इनके विचारों को साथ लेकर एक सकारात्मक नेतृत्व बनाने का अभियान शुरू किया है। मूवमेंट ऑफ पॉजिटिविटी में पूरी दुनिया को बदलने की क्षमता है। दिल्ली में आयोजित तीसरा सम्मेलन बेहद सफल रहा है।

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