उत्तर प्रदेश के 16 जिलों के 644 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ के प्रकोप से निपटने के लिए योगी सरकार राहत और बचाव कार्यों के साथ चौकसी बरतने पर जोर दे रही है। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ उन्हें बीमारियों से भी बचाने पर सरकार का फोकस है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ से बचाव के लिए चौकसी बरतने की हिदायत के साथ वरिष्ठ अधिकारियों को तटबंधों का निरीक्षण और उनकी लगातार निगरानी करने का निर्देश दिया है।
उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में वृद्धि जारी है। गंगा का पानी इस दिन प्रयागराज के बड़े हनुमान मंदिर के करीब पहुंच गया। फिलहाल रात तक मंदिर परिसर में पानी नहीं घुसा। इस बीच अवध क्षेत्र में घाघरा, सरयू-शारदा और राप्ती नदियों का उफान कम होने लगा है। खतरे के निशान से जलस्तर कम होने से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के लोगों को कुछ राहत महसूस हो रही है। तटवर्ती इलाके में खेती की जमीन की कटान हो रही है।
राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि बाढ़ प्रभावित जिलों में बचाव और राहत कार्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचक बल की 12 तथा राज्य आपदा मोचक बल व पीएसी की 17 टीमें तैनात की गई हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 414 नावें लगायी गई हैं। बाढ़ से बेघर लोगों के लिए प्रदेश में 373 शरणालय बनाये गए हैं। 784 बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। मुख्यमंत्री ने बाढ़ से बचाव के लिए चौकसी बरतने की हिदायत के साथ वरिष्ठ अधिकारियों को तटबंधों का निरीक्षण और उनकी लगातार निगरानी करने का निर्देश दिया है। बाढ़ से प्रभावित लोगों को भोजन के लिए 17 सामग्रियों से युक्त 1,82,329 खाद्यान्न किट का वितरण अब तक किया जा चुका है। वहीं आपदा से बेघर हुए लोगों को अब तक 3,27,291 मीटर तिरपाल बांटा जा चुका है।
चिकित्सा सुविधाओं पर फोकस : सभी जिलाधिकारियों को बाढ़ प्रभावित गांवों में स्वास्थ्य शिविर के आयोजन और प्रदूषित जल और मक्खी-मच्छर से पैदा होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही करने के लिए कहा गया है। दवाइयों का पर्याप्त स्टॉक भी उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गए हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 350 मेडिकल टीमें लगायी गई हैं।
प्रयागराज में बड़े हनुमान मंदिर के करीब पहुंचा गंगा जल : प्रयागराज में बीते 24 घंटे में नैनी, छतनाग में 65 और फाफामऊ में 53 सेंटीमीटर पानी बढ़ा है। सिंचाई विभाग (बाढ़ प्रखंड) के अधिशासी अभियंता बृजेश कुमार ने बताया कि मंगलवार शाम चार बजे नैनी में 80.89, छतनाग में 80.19 और फाफामऊ में 81.08 मीटर जलस्तर था। हरदोई में गर्रा के जलस्तर में 15 सेंटीमीटर की कमी दर्ज की गई। बैराजों से गंगा और रामगंगा में 1 लाख 61 हजार 714 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा का जलस्तर सोमवार की भांति चेतावनी ङ्क्षबदु से 20 सेंटीमीटर से ऊपर 136.80 मीटर पर प्रवाहित हो रहा है। रायबरेली में गंगा नदी का जलस्तर लगभग स्थिर है। केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक जलस्तर 97.830 मीटर पर है।
घाघरा नदी का पानी तेजी से नीचे गिरा : बहराइच में घाघरा का जलस्तर तेजी से नीचे खिसकने से तटवर्ती ग्रामीणों की समस्याएं कुछ कम हो रही हैं। शारदा बैराज से 126269 क्यूसेक, गिरजा बैराज से 111207 क्यूसेक व सरयू बैराज से 1625 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। एल्गिन ब्रिज पर नदी 106.07 के सापेक्ष 105.726 पर बह रही है। यहां पर नदी खतरे के निशान से 35 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। गोंडा में बाढ़ प्रभावित इलाकों में नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आ गया है। सीतापुर में रेउसा ब्लॉक में घाघरा नदी का कहर जारी है। तटवर्ती क्षेत्र में कटान तेजी से हो रही है।
बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे : बाराबंकी में सरयू नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान से नीचे की ओर बढ़ रहा है। 106.070 मीटर के सापेक्ष 105.696 मीटर रहा। सिरौली गौसपुर क्षेत्र में कटान हो रही है। लखीमपुर में शारदा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे हो गया है। 154.100 सेमी से 15 सेमी नीचे 153.950 सेमी पर पहुंच गया है। अंबेडकरनगर में घाघरा नदी का जलस्तर तेजी से गिरावट जारी है। नदी खतरे के निशान 92.730 मीटर से 40 सेंटीमीटर नीचे 92.330 मीटर पर है। प्रशासन बाढ़ से हुए नुकसान का सर्वे करने में जुट गया है। श्रावस्ती में राप्ती नदी का जलस्तर स्थिर है। राप्ती बैराज पर नदी खतरे के निशान 127.70 सेमी से 20 सेंटीमीटर नीचे बह रही है।
मवेशियों का भी ख्याल : बाढ़ में बहे मवेशियों के लिए प्रदेश में 507 पशु शिविर स्थापित किये गए हैं। मवेशियों के लिए भूसे-चारे के इंतजाम के साथ 7,39,558 पशुओं का टीकाकरण भी किया गया हैं।
हेल्पलाइन नंबर पर करें फोन : बाढ़ को लेकर कोई भी समस्या होने जिला आपदा नियंत्रण केंद्र या राज्य स्तरीय कंट्रोल रूम हेल्पलाइन नंबर 1070 पर फोन किया जा सकता है।
यह जिले बाढ़ प्रभावित : अंबेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, बस्ती, देवरिया, फर्रुखाबाद, गोंडा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, संत कबीर नगर और सीतापुर।