संयुक्त राष्ट्र आमसभा ( UN General Assembly) के 75वें सत्र को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत और संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के 75 साल बाद एक बार फिर से हम वैश्विक संघर्ष में फंसे हैं। हमने एक अदृश्य दुश्मन चीनी वायरस के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी है। इसने 188 देशों में अनगिनत जिंदगियां ली हैं। अमेरिका में हमने दूसरे विश्व युद्ध के बाद अब तक का सबसे आक्रामक मोबलाइजेशन शुरू किया। हमने तेजी से रिकॉर्ड वेंटिलेटर्स की सप्लाई की। सरप्लस वेंटिलेटर होने की वजह से हम इसे दुनियाभर के अपने मित्रों को बांट पाए।
चीन पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम एक सुनहरे भविष्य की ओर बढ़ रहे हैं, हमें दुनियाभर में ऐसी महामारी फैलाने वाले देश चीन को जिम्मेदार ठहराना चाहिए। वायरस के शुरुआती दिनों में चीन ने घरेलू यात्राओं पर रोक लगा दी थी. लेकिन दुनियाभर को संक्रमित करने के लिए अन्य देशों की उड़ानों को जारी रखा था। चीनी सरकार और WHO (जिसे पर्दे के पीछे से चीन चलाता है) ने झूठा दावा कर दिया कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि वायरस इंसान से इंसान में फैलता है। बाद में उन्होंने झूठा दावा किया कि बिना लक्षण वाले मरीज बीमारी नहीं फैला सकते हैं।
वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे राष्ट्राध्यक्ष
संयुक्त राष्ट्र के इतिहास का ये पहला अवसर है जब यूएन के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष इस सत्र को वर्चुअल रूप से संबोधित करने वाले हैं। इसलिए भी इसकी अहमियत काफी बढ़ गई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महासभा को 26 सितंबर को संबोधित करेंगे। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस सत्र को 25 सितंबर को संबोधित करेंगे। इस नाते भारत के पास पाकिस्तान के उठाए हर सवाल और हर आरोप का जवाब देने का भी मौका होगा।
यूएनएससी के स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग
ज्ञात हो कि भारत समेत ब्राजील, जर्मनी और जापान यूएनएससी के स्थायी और अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग काफी समय से करते आ रहे है। भारत का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सदस्यों की संख्या बढ़ाकर यूएन में बदलती वैश्विक व्यवस्था की झलक दिखाई दनी चाहिए। सुधार का ये मुद्दा 2008 से लगातार उठाया जा रहा है। इस बार भी पीएम मोदी के संबोधन में ये बातें स्पष्ट रूप से दिखाई दे सकती हैं।