कोरोना वायरस के संक्रमण का ग्राफ अनलॉक 4.0 में तेजी से ऊपर जा रहा है। कोरोनाकाल के 27वें सप्ताह (13 से 19 सितंबर) में एक के बाद एक कई रिकॉर्ड टूटे हैं। इस अवधि में कोरोना के 9749 नए मामले आए हैं, जो एक सप्ताह में संक्रमण का अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है। इस सप्ताह में मौत का आंकड़ा भी बढ़ा है। 27वें सप्ताह में 76 कोरोना संक्रमितों ने दम तोड़ा, जबकि इससे पहले सप्ताह में यह संख्या 72 थी। सुकून की बात यह है कि इस दौरान 6942 मरीज रिकवर भी हुए। यह भी सर्वाधिक साप्ताहिक आंकड़ा है।
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला 15 मार्च को सामने आया था। शुरुआती दौर में विदेश से लौटे लोग ही संक्रमित मिल रहे थे और स्थिति काफी हद तक नियंत्रण में थी, लेकिन जमातियों के यहां पहुंचने के बाद मामले तेजी से बढ़ने शुरू हो गए। उस वक्त किसी तरह हालात पर काबू पाया गया। लेकिन, लॉकडाउन 3.0 में मिली छूट के बाद प्रवासियों के लौटने का सिलसिला शुरू हुआ तो वायरस का प्रसार कई गुना बढ़ गया। इस चुनौती से भी तकरीबन पार पा लिया गया था। जुलाई शुरू होते-होते स्थिति सामान्य होने लगी थी। एकबारगी लगने लगा कि हालात जल्द ही नियंत्रण में आ जाएंगे, मगर यह उम्मीद कुछ दिन ही जिंदा रही। अनलॉक शुरू हुआ और तमाम रियायतों का प्रतिकूल असर दिखने लगा। जुलाई मध्य में कोरोना की रफ्तार एकाएक बढ़ गई।
सितंबर में हर रोज औसतन एक हजार से ज्यादा लोग संक्रमित मिल रहे हैं। संक्रमितों का कुल आंकड़ा 40 हजार के पार पहुंच गया है। राज्य में सक्रिय मरीज भी साढ़े 12 हजार के करीब हैं। इस कारण व्यवस्थाएं भी एक-एक कर ध्वस्त होती जा रही हैं। दून में ही मरीजों को न तो आइसीयू मिल रहा, न ही सामान्य बेड।
सहयोग बिना कोई भी नीति बेदम
प्रदेश में कोरोना संक्रमण का विश्लेषण कर रहे सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल का कहना है कि कोरोना के लिहाज से हालात अभी अनुकूल नहीं दिख रहे हैं, मगर परिस्थितियां ऐसी भी नहीं हैं कि इनसे पार न पाया जा सके। कोरोना के शुरुआती चरण में सिस्टम ने दिखा दिया कि ठोस रणनीति, बेहतर सूझबूझ और कुशल प्रबंधन से बड़ी से बड़ी मुश्किल आसान हो सकती है। कोरोना के खिलाफ जंग में आम आदमी का रवैया भी बहुत महत्वपूर्ण है। जब तक जनता का सहयोग नहीं मिलेगा, सारी नीतियां बेकार हैं। सभी को यह समझना होगा कि समस्या से मुंह मोड़ लेना समाधान नहीं है।