उत्तराखंड भूस्खलन शमन एवं प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) ने नैनीताल समेत अन्य पर्वतीय शहरों के भूगर्भीय जांच और भूस्खलन के खतरे के आकलन की तैयारी की है। नैनीताल पहला पर्वतीय नगर होगा, जहां पर सबसे पहले अध्ययन शुरू होगा। अध्ययन रिपोर्ट आने से और बेहतर ढंग से सड़क, ड्रेनेज की योजना बनाने और काम करने में सहायता मिलेगी। इसके अलावा भूस्खलन के खतरे को कम करने में भी मदद मिलेगी।
नैनीताल शहर में भूस्खलन की घटना होती रही हैं। अब यूएलएमएमसी ने शहर को 29 हिस्सों में बांटकर भूगर्भीय जांच करने का फैसला किया है। संस्थान ने इन हिस्सों में पहले कब भूस्खलन की घटना हुई है, उसकी भी जानकारी जुटाई है। संस्थान अध्ययन के दौरान भूमि के ऊपर के अलावा (भूगर्भीय संरचना मानचित्र तैयार करना) अंदर क्या है उसका पता किया जाएगा। यहां पर मिट्टी की पानी में घुलनशीलता, चट्टान और उसके प्रकार, चट्टान का घनत्व, चट्टान की क्षमता, खनिज आदि का पता किया जाएगा।
छह महीने में रिपोर्ट तैयार करने का लक्ष्य
यूएलएमएसी के निदेशक शांतनु सरकार का कहना है कि बरसात के बाद अध्ययन शुरू करने की योजना है। इस काम को पूरा करने का लक्ष्य छह महीने का रखा गया है। नैनीताल टाउनशिप पहला है, जहां यह मॉडल स्टडी होगी। इसके अध्ययन के आधार पर आगे अन्य पर्वतीय नगरों का क्रम से अध्ययन करने की योजना है। इस अध्ययन में स्लोप, चट्टान के प्रकार और क्षमता आदि का पता किया जाएगा। एक बार अध्ययन हो गया तो लोक निर्माण विभाग, सिंचाई विभाग आदि विभाग को सड़क, ड्रेनेज आदि प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए इस रिपोर्ट का भी इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे भूस्खलन के खतरे को कम करने में भी मदद मिलेगी।
खतरे वाले स्थानों को चिह्नित करेंगे
नैनीताल शहर में भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील जगहों को चिह्नित किया जाएगा। यहां पर खतरे को कम करने के लिए प्रोटेक्शन वर्क का सुझाव दिया जाएगा। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन गाइडलाइन का भी तैयार किया जाएगा, जिसके आधार आगे के कार्य होंगे।