प्रदेश में अब संविदा सेवाओं में कार्य करने के लिए ओबीसी प्रमाण पत्र की समय सीमा कम करने की तैयारी है। अभी यह प्रमाण पत्र तीन वर्ष के लिए बनाया जाता है, लेकिन अब इसे एक वर्ष के लिए किया जा रहा है। मकसद यह कि ओबीसी वर्ग के पात्र व्यक्तियों को ही इसका लाभ मिले और क्रीमी लेयर वालों को दायरे से बाहर रखा जा सके। 
प्रदेश में अभी विभिन्न विभागों में संविदा पर कर्मचारियों की भर्ती के दौरान आरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। रिक्त पदों पर आरक्षण के रोस्टर के आधार पर ही भर्तियां की जाती हैं। ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए हर तीन वर्ष के लिए प्रमाण पत्र बनाया जाता है। इसे हर तीन साल बाद रिन्यू किया जाता है। इसके लिए बाकायदा शासनादेश जारी किया गया है। प्रमाण पत्र एसडीएम स्तर के अधिकारियों द्वारा बनाए जाते हैं। कुछ समय पहले इस तरह के मामले सामने आए कि कुछ जगह इन प्रमाणपत्रों में तीन वर्ष की अवधि का उल्लेख नहीं किया गया।
इससे ऐसे प्रमाण पत्र धारकों ने इन्हें रिन्यू नहीं कराया। भर्ती के दौरान जब ये प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए गए तो इन्हें नहीं माना गया। ऐसे में कुछ मामले कोर्ट में भी गए। इसके बाद शासन में इस संबंध में अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि तीन वर्ष की अवधि थोड़ी अधिक है।
बीते वर्षों में ओबीसी के कई लोग क्रीमी लेयर के दायरे में आ चुके हैं जबकि उनमें से कई के परिजन अभी भी भर्ती में इन प्रमाण पत्रों का लाभ दे रहे हैं। ऐसे में इसकी समयसीमा कम करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए कार्मिक और न्याय की राय ली जा रही है।
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