आर्थिक संसाधनों की कमी से जूझ रहे उत्तराखंड को केंद्र सरकार के नए बजट से बड़ी राहत मिलने जा रही है। मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ा दी है। इससे राज्य को ज्यादा धनराशि मिलेगी। केंद्र ने नए बजट में 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि इससे उत्तराखंड को रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में सालाना 2000 करोड़ का बड़ा तोहफा मिल सकता है। ऑलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन समेत ढांचागत विकास के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर राज्य की उम्मीदें बरकरार रखते हुए केंद्र के इस फैसले को अहम माना जा रहा है। छोटे उद्यमों को प्रोत्साहन समेत विभिन्न योजनाओं में केंद्र की नई पहल का लाभ भी उत्तराखंड के खाते में गिरना तय है।
हिमालयी राज्य उत्तराखंड के सामने खस्ता माली हालत को संभाले रखने की चुनौती है। बड़े विषम भौगोलिक क्षेत्र में तमाम पर्यावरणीय बंदिशों के साथ अवस्थापना विकास की जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना कतई आसान नहीं है। चार धाम ऑलवेदर रोड, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना, पर्वतीय क्षेत्रों में नमामि गंगे के तहत सीवरेज ट्रीटमेंट, आपदा से तहस-नहस हुई केदारघाटी को संवारने जैसे बड़े प्रोजेक्ट केंद्र की मदद से चल रहे हैं। नए केंद्रीय बजट में अवस्थापना पर जिसतरह खास तवज्जो दी गई है, उसे देखते हुए इन सभी परियोजनाओं को ज्यादा मदद मिलना तय माना जा रहा है।
कर हिस्सेदारी में वनों की अहम भूमिका
केंद्र सरकार ने सीमित संसाधनों की वजह से कई दिक्कतें उठा रहे उत्तराखंड की बड़ी मुराद पूरी की है। 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मंजूरी के साथ ही केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी को 1.05 फीसद से बढ़ाकर 1.10 फीसद किया गया है। राज्य की ग्रीन बोनस की उम्मीदें भले ही पूरी नहीं हुई, लेकिन केंद्रीय करों में भागीदारी बढ़ाने में वनों की बड़ी भूमिका रही है। करों में वनों की हिस्सेदारी को भी 7.5 फीसद से बढ़ाकर 10 फीसद तक किया गया है। हालांकि आयोग की सिफारिश को लेकर राज्य के आला अधिकारी सीधे कुछ भी कहने से बच रहे हैं। इसके लिए बजट और केंद्र की ओर से स्वीकार की गईं 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बारे में जानकारी मिलने का इंतजार किया जा रहा है।
14वें वित्त आयोग के झटके से उबरेंगे
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढऩे की जानकारी मिली है। सूत्रों के मुताबिक आयोग ने उत्तराखंड के लिए रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट के रूप में सालाना 2000 करोड़ की सिफारिश की है। इसे केंद्र की मंजूरी मिलने पर राज्य को बड़ी राहत मिलना तय है। 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से बंद हुई सालाना करीब दो हजार की ग्रांट के झटके से उबरने में राज्य को मदद मिल सकेगी।
सीएसएस से परवान चढ़ेंगी उम्मीदें
उत्तराखंड में विकास का बड़ा दारोमदार केंद्रपोषित योजनाओं पर है। स्टार्ट अप, एमएसएमई के कारोबार की उच्चतम सीमा में पांच गुना वृद्धि, सस्ते मकान की योजना के साथ खेतों में सोलर पावर को बढ़ावा देने से अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की केंद्रपोषित कुसुम योजना के विस्तार का लाभ राज्य के खाते में आना तय है। जैविक खेती के लिए ऑनलाइन बाजार, मनरेगा को चारागाह से जोडऩे और प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत हर जिले में केंद्र स्थापित किए जाएंगे। जिला अस्पतालों में मेडिकल कालेज खोलने का फैसला पर्वतीय राज्य के लिए बड़ा कदम साबित हो सकता है।