UIDAI के CEO ने SC में माना- आधार में है खामी, बायोमैट्रिक 100% सही नहीं, विकल्प की जरूरत

UIDAI के CEO ने SC में माना- आधार में है खामी, बायोमैट्रिक 100% सही नहीं, विकल्प की जरूरत

आधार कार्ड  की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान गुरुवार को यूआईडीएआई के सीईओ अजय भूषण पांडे ने अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि आधार की व्यवस्था में कुछ खामिया हैं. उन्होंने कहा कि आधार के जरिये 100 फीसदी सफल ऑथेंटिकेशन संभव नहीं है. उन्होंने इसके लिए बायोमैट्र‍िक ऑथेंटिकेशन के अलावा अन्य विकल्प भी तैयार करने को कहा है.  UIDAI के CEO ने SC में माना- आधार में है खामी, बायोमैट्रिक 100% सही नहीं, विकल्प की जरूरतयूआईडीएआई के सीईओ ने बताया कि हमने समय-समय पर सरकार को हिदायत दी है कि बायोमैट्र‍िक के अलावा एक अलग से विकल्प भी तैयार किया जाए, जिससे आधार ऑथेंटिकेशन करना आसान हो.

उन्होंने कहा कि इंटरनेट और मशीन के साथ कभी भी कोई दिक्कत पेश आ सकती है. इससे किसी व्यक्ति का बायोमैट्र‍िक्स मैच होने में परेशानी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि बायोमैट्र‍िक के अलावा ऑथेंटिकेशन की दूसरी व्यवस्था भी जरूर हो. उन्होंने बताया कि आधार एक्ट सेक्शन 7 ऐसी ही दिक्कतों से निपटने की बात करता है.

पांडे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर किसी के पास आधार नहीं है, तो किसी को भी जरूरी सेवाओं का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि यूआईडीएआई की तरफ से इस संबंध में समय-समय पर सर्कुलर जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि हमने मंत्र‍ियों से कई बार कहा है कि सिर्फ बायोमैट्र‍िक ऑथेंटिकेशन पर निर्भर नहीं रह सकते. इस पर 100 फीसदी निर्भरता संभव नहीं.

इससे पहले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने कहा था कि आधार संख्या नहीं होने पर भी आवश्यक सेवाओं का लाभ देने से मना नहीं किया जा सकता है. इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन मिलना, स्कूलों में एडमिशन और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाने जैसी आवश्यक सेवाएं शामिल थीं. 

यूआईडीएआई ने यह बयान उन श‍िकायतों के बाद जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें आधार के बिना जरूरी सेवाएं नहीं दी जा रही हैं. इसके बाद यूआईडीएआई ने बयान जारी किया था, इसमें उसने सरकारी विभागों और राज्य सरकारों से कहा कि वह यह सुनिश्चित करें कि आधार संख्या नहीं होने पर आवश्यक सेवाओं और लाभ के वास्तविक लाभार्थी को उसका लाभ लेने से मना नहीं किया जाए. 

इनमें चाहे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन मिलना, स्कूलों में प्रवेश मिलना, अस्पताल में एडमिट होना और स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाए जाने जैसी आवश्यक जरूरतें शामिल हैं.

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