नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली सीमा पर किसान जमे हैं और किसान सियासत गर्माई हुई है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश शांत है। यह वो धरा है जहां से भारतीय किसान यूनियन और उसके अध्यक्ष चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत हुंकार भरते थे तो सरकारें हिल जाती थी, वहां इस बार आंदोलन को लेकर कोई गर्माहट नहीं है। भाकियू इस बार भी दिल्ली गेट पर जमा है। अन्य किसान संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं में कुछ सिंघु बॉर्डर पर पहुंच रहे हैं तो कुछ दूसरी सीमा पर जमे हैं। आम किसान भी इन दिनों में खेतों में व्यस्त है और वह आंदोलन से नहीं जुड़ पा रहे हैं।
अलग-अलग संगठन, लेकिन मुद्दा एक कृषि कानून का विरोध, ऐसे में चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत जैसे नेतृत्व की कमी खल रही है। कृषि कानूनों के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों ने पहले आंदोलन करते हुए दिल्ली के लिए कूच किया। उनके समर्थन में भारतीय किसान यूनियन आई।
भाकियू ने 27 नवंबर को उत्तराखंड और यूपी में हाईवे पर चक्का काम किया और इसके बाद किसानों को दिल्ली कूच करने का एलान कर दिया। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में कम ही किसान दिल्ली पहुंचे, तभी से यूपी बॉर्डर पर किसानों का धरना चल रहा है, गुरुवार को भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत भी इसमें शामिल हो गए। लेकिन जनपद से किसानों की इस आंदोलन में उतनी भागीदारी नहीं दिख रही, जैसा भाकियू के पूर्व के आंदोलन में नजर आती रही है।
किसान क्रांति यात्रा में दिखाई थी ताकत-
भाकियू ने दो साल पहले 23 सितंबर 2018 से एक अक्तूबर तक हरिद्वार से दिल्ली तक किसान क्रांति यात्रा निकाली थी। इस यात्रा में किसानों ने भाकियू के साथ मिलकर अपनी ताकत दिखाई थी। चौधरी नरेश टिकैत के नेतृत्व में निकाली गई किसान क्रांति यात्रा को सरकार ने यूपी बॉर्डर पर ही रोक दिया था, तब भी किसानों ने अपनी एकजुटता और ताकत का अहसास केंद्र सरकार को कराया था।
किसानों के बंटने से कमजोर हुई भाकियू-
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बाद किसानों के कई संगठन बनने से भाकियू और किसानों की एक जुटता कमजोर हुई। पश्चिमी यूपी में भाकियू के अलावा भाकियू अम्बावता, भाकियू तोमर, भाकियू भानू, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन, भारतीय किसान संगठन सक्रिय है। बिजनौर में भी करीब दस भाकियू संगठन है। बागपत से जिले से भारतीय किसान यूनियन, भारतीय किसान संगठन, भारतीय मजदूर किसान संगठन, अन्नदाता भारतीय किसान यूनियन, राष्ट्रीय किसान अधिकार समन्वय मंच, भारतीय किसान अधिकार आंदोलन के पदाधिकारी और कार्यकर्ता दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। किसी एक चेहरे के पीछे किसान लामबंद नहीं हो सके हैं। पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन मुजफ्फरनगर के अध्यक्ष और किसान नेता अशोक बालियान का कहना है कि कई संगठन बनने से किसानों की एक जुटता कमजोर हुई है। किसान चाहता है कि केंद्र सरकार एसएमपी को लेकर ठोस निर्णय चाहता है।
किसानों की एकजुटता कम हुई-
चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में देश का किसान एकजुट था। कई आंदोलन कर किसानों का हक दिलवाया। अब किसानों के कई संगठन बनने से किसानों की एकजुटता कमजोर हुई है, जिसका असर भाकियू पर भी पड़ा है।