“कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो” इन लाइनों को कवि दुष्यत कुमार ने उनके लिए लिखा था, जो हाशिये पर खड़े हैं. इन लाइनों का सही ठहराती दिल्ली की शांति देवी …
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