सिनेमा प्रारंभ में जनसरोकारों एवं जनभावनाओं को लेकर चली। स्वाभाविक है कि उसे आशातीत सफलता एवं स्वीकार्यता मिली। कालांतर में जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती गई, भव्यता, नवीनता, कल्पनाशीलता का संचार हुआ। संवाद, संगीत, अभिनय का रुपहले पर्दे पर भव्य, जीवंत …
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