Tag Archives: अाइअाईटी का रिसर्चः

अाइअाईटी का रिसर्चः हर साल पांच लाख लोगों की जान ले रहा धुआं

वायु प्रदूषण से होने वाली सर्वाधिक मौतों का कारण घर के चूल्हे और जाम के दौरान वाहनों से निकलने वाले धूल और धुएं के छोटे कण हैं। वातावरण में महज 27 फीसद मौजूदगी के बावजूद ये छोटे कण प्रदूषण से होने वाली 70 फीसद मौतों का कारण हैं। यानी हर साल करीब साढ़े तीन लाख लोग इन छोटे धूल कणों के चलते हो रही बीमारियों से मर रहे हैं। चौंकाने वाला यह आंकड़ा आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के पीएचडी छात्रों के शोध में सामने आया है। देश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिसीज (जीबीडी) ने देशभर में वायु प्रदूषण से पांच लाख मौतें होने का आंकड़ा दिया था। आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. तरुण कुमार गुप्ता के निर्देशन में डॉ. प्रशांत राजपूत और सैफी इजहार ने 2015-16 में शोध शुरू किया। कानपुर को केंद्र में रखकर दिल्ली, लखनऊ, नोएडा, पटना, जयपुर समेत अन्य कई शहरों से आंकड़े जुटाए। जानें, एमबीबीएस करने वाली अवणना अग्रवाल कैसे बन गईं गोल्डन गर्ल यह भी पढ़ें शोध में सामने आया कि वायु प्रदूषण में 73 प्रतिशत धूल के कण पीएम 2.5 से ऊपर हैं जो सिर्फ शरीर के ऊपरी हिस्सों के लिए खतरनाक हैं लेकिन छोटे कण महज 27 फीसद मौजूदगी के बावजूद लोगों को सब क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव, पल्मोनरी डिसीज (सीओपीडी), टीबीएल कैंसर, अस्थमा और काली खांसी जैसी जानलेवा बीमारियां दे रहे हैं। जो पांच लाख मौतें हुई हैं उनमें 70 फीसद की जान धूल के इन्हीं छोटे कणों ने ली है। छात्रों का यह शोध अंतरराष्ट्रीय जनरल में भी प्रकाशित हुआ है। जब मंच पर आए शबाना-जावेद तो शुरू हुई पुर-सुकूं बहते दरिया की अल्हड़ रवानी एक कहानी... यह भी पढ़ें लंग्स मॉडलिंग का हुआ प्रयोगः शोधार्थियों ने वायु प्रदूषण के डाटा को लंग्स मॉडलिंग से देखा। यह कंप्यूटरीकृत मॉडल है। इसमें सामने आया कि पीएम 2.5 माइक्रोमीटर से अधिक आकार के कण गले से नीचे नहीं जाते। 2.5 से छोटे कण सीधे फेफड़े और धमनियों में जम जाते हैं। गंगा के तटीय क्षेत्रों में मध्यम प्रदूषण शोध में सामने आया कि उत्तर क्षेत्र में वायु प्रदूषण ज्यादा है। गंगा के तटीय क्षेत्रों में मध्यम और दक्षिण के राज्यों में प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम है। गर्मियों में बड़े, सर्दियों में छोटे कणः गर्मियों के मौसम में पार्टिकुलेट मैटर के कण 10.3 माइक्रोग्राम से अधिक होते हैं जो खांसी का कारण बनते हैं लेकिन गर्मियों में 0.3 से 2.5 माइक्रोमीटर तक के कणों की अधिकता रहती है जो श्वांस रोगियों के लिए समस्या बनती है। पीएम 2.5 से छोटे कणों के कारक पीएम 2.5 से छोटे प्रदूषण के कण घर के चूल्हे, पटाखे, घरों में जलन वाली अगरबत्ती, जाम में फंसे वाहनों के धुएं और पराली के जलने आदि से बढ़ते हैं

वायु प्रदूषण से होने वाली सर्वाधिक मौतों का कारण घर के चूल्हे और जाम के दौरान वाहनों से निकलने वाले धूल और धुएं के छोटे कण हैं। वातावरण में महज 27 फीसद मौजूदगी के बावजूद ये छोटे कण प्रदूषण से …

Read More »

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com