RSS नेता की हत्या में शामिल भारतीय मूल के तीन ब्रिटिश सिख युवक वेस्ट मिडलैंड्स से गिरफ्तार

भारतीय मूल के तीन ब्रिटिश सिख युवकों को बीते दिनों वेस्ट मिडलैंड्स से गिरफ्तार कर लिया गया. इन तीनों युवकों पर साल 2009 में भारत में एक RSS नेता की हत्या में शामिल होने का आरोप है. इन तीनों आरोपियों को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. इसके बाद उनके भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. ये तीनों सिख युवक खालिस्तान मूवमेंट से जुड़े हैं. इनके नाम गुरशरणवीर सिंह वाहिलवाल (37 साल), उनके भाई अमृतवीर सिंह वाहिलवाल (40 साल) और 38 साल के पियारा गिल हैं.

वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस ने कहा,” इन युवकों पर साल 2009 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन राष्ट्रीय सिख संगत के नेता रुलदा सिंह की हत्या में शामिल होने का आरोप है. पुलिस के मुताबिक भारत ने इसी मामले में इन युवकों के प्रत्यर्पण करने की बात की है. राष्ट्रीय सिख संगत, आरएसएस की सिख समुदाय के लिए काम करने वाली शाखा है. रुलदा सिंह इसी संगठन के बड़े नेता थे.  28 जुलाई 2009 को कुछ हमलावरों ने रुलदा सिंह की उनके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी थी.

रुलदा सिंह ने ब्रिटेन समेत कई देशों का दौरा कर वहां के सिखों को भारत वापस लौटने की बात की थी. रुलदा सिंह की ये बाद कुछ लोगों को पसंद नहीं आई थी. पंजाब पुलिस ने इस हत्याकांड मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया था. गुरशरणवीर ब्रिटिश सिख जगतार सिंह जौहल का रिश्तेदार है जिसपर भारत में कई आरएसएस नेताओं की हत्या का आरोप है. हालांकि फिलहाल जगतार जौहल जेल में बंद है.

गुरशरणवीर पंजाब पुलिस और एनआईए द्वारा कथित तौर पर पंजाब में केंद्रित हत्याओं के कई मामलों में मुख्य साजिशकर्ता है और कथित रूप से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का सदस्य है.

इन तीनों युवकों की गिरफ्तारी पर कई ब्रिटिश संगठनों ने विरोध किया है. सिख समुदाय के सिख फेडरेशन (UK) के प्रवक्ता ने कहा कि ब्रिटेन भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौता स्थापित करना चाह रहा है, इसलिए यह माना जा रहा है कि भारतीय अधिकारियों ने तीन ब्रिटिश सिख कार्यकर्ताओं के प्रत्यर्पण पर डॉमिनिक राब को मनाने के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया. सिख प्रेस एसोसिएशन ने कहा कि “सिख समुदाय के कई लोग” चिंतित हैं. क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह कदम “कथित रूप से हजारों सिखों को प्रत्यर्पण के लिए असुरक्षित कर देता है.”

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