रेटिंगः 2.5 स्टार डायरेक्टरः शशांक घोष कलाकारः  करीना कपूर खान, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तल्सानिया और सुमित व्यास ‘सिगरेट पीना सेहत और चरित्र- दोनों के लिए हानिकारक है!’ यह बात सिर्फ इस फिल्म का एक किरदार ही दूसरे किरदार से नहीं कहता, पूरी फिल्म ही दर्शकों से कहती है। चरित्र मापने के ‘सिगरेट’, ‘छोटे कपड़े’, ‘पार्टी करने की आदत’,‘बातचीत में गालियों का इस्तेमाल’ जैसे चर्चित पैमानों को कठघरे में खड़ा करती है। फिल्म के किरदार, यानी अपनी शर्तों पर जीने वाली चार बिंदास लड़कियां- बिना किसी फिल्टर के एक-दूसरे से बातें करती हैं। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां उदासी भी खूबसूरत लगती है, इसमें अगर कमी है, तो एक सुलझी हुई प्रभावी कहानी की।    कहानी... वीरे पंजाबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘ब्रो’, यानी भाई। तो चलिए, मिलते हैं, खुद को सीना चौड़ा कर ‘वीरे’ कहने वाली इस चौकड़ी से। दल की पहली सदस्या हैं कालिंदी (करीना कपूर) जिन्हें यूं तो शादी में यकीन नहीं है, पर जो अपने प्रेमी ऋषभ (सुमित व्यास) की खातिर शादी करने को राजी हो जाती हैं। दूसरी सदस्या हैं अवनी (सोनम कपूर आहूजा) जो पेशे से वकील हैं और खुद हथियार डालने के बाद अब मां की पसंद के लड़के देख रही हैं। साक्षी (स्वरा भास्कर) जिनका तलाक होने वाला है और जो अपने मोहल्ले की आंटियों की चुगलियों से परेशान आ चुकी हैं। चौथी सदस्या हैं मीरा (शिखा तल्सानिया) जिनके फिरंगी पति (एडवर्ड सॉनेनब्लिक) को उनके सिख परिवार ने अब तक स्वीकार नहीं किया है। मीरा का दो साल का एक बेटा भी है। चारों की मुलाकात होती है कालिंदी की शादी के मौके पर। जैसा कि अपेक्षित है, शादी के दौरान इनकी जिंदगियों की कुछ उलझी हुई गांठें सामने आती हैं और फिल्म खत्म होते-होते सुलझ जाती हैं। फिल्म फार्महाउस में होने वाली शादियों और करोड़ों की डेस्टिनेशन वेडिंग्स आदि पर भी तंज कसती है। ‘इटैलियन खाना खिलाएंगे, भले ही बाद में खुद जेल का खाना-खाना पड़े!’ जैसे संवाद इसमें खास भूमिका निभाते हैं।  एक्टिंग.. एक्टिंग के मामले में स्वरा भास्कर और शिखा तल्सानिया, बाकी दोनों अभिनेत्रियों पर भारी पड़ी हैं, हालांकि इसमें बड़ा योगदान उन चटपटे संवादों का भी है, जो उनके हिस्से में आए। सोनम ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है, हालांकि उनके हिस्से के डायलॉग ज्यादा दमदार नहीं हैं। करीना कपूर खान का रोल फिल्म में सबसे बड़ा है। अपनी भूमिका में वह फिट तो लगी हैं, पर कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग की शिकार भी नजर आई हैं। सुमित व्यास ने अच्छा काम किया है, हालांकि उनका रोल और दमदार हो सकता था। आयशा रजा, विवेक मुशरान, मनोज पाहवा आदि कलाकारों ने अपना काम बखूबी निभाया है। फिल्म की कमी... वीरे दी वेडिंग की सबसे बड़ी कमी वह कहानी है, जो इसे ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘दिल चाहता है’ की फेहरिस्त में खड़ा कर सकती थी। इसे देखते हुए इन फिल्मों की यादें ताजा होती हैं, इसमें भावुक कर देने वाले पल भी आते हैं। पर सही दिशा के अभाव में यह मनोरंजन के तमाम मसालों से लैस होते हुए भी दर्शक मन में ‘कुछ कमी रह गई’ वाला भाव सौंपते हुए खत्म हो जाती है। हालांकि फिल्म मनोरंजन करने में कामयाब रहती है। फिल्म में गालियों की भरमार है पर एक ‘ए सर्टिफिकेट’ फिल्म के लिहाज से इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।   फिल्म के गाने सुनने से ज्यादा देखने में अच्छे लगते हैं। ‘तारीफां’ गीत बेहद दिलचस्प है, जिसमें चारों अभिनेत्रियों ने बादशाह की आवाज के साथ लिप सिंक किया है और इसका फिल्मांकन भी काफी रोचक है। इसके अलावा ‘भंगड़ा ता सजदा’ गीत का फिल्मांकन भी बेहद खूबसूरत है।  संगीत... फिल्म के संगीत की बात करें तो संगीत कहानी के अनुरूप है। सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन हैं जो फ़िल्म के लुक को बहुत खूबरसूरत बनाती है। फ़िल्म के वन लाइनर्स हंसाते हैं। फिल्म के डायलॉग्स बोल्डनेस से भरपूर है। इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि जब पुरुष अपनी इच्छाओं को जगजाहिर कर सकते हैं, बिना किसी रोक टोक के तो महिलाएं क्यों नहीं?

REVIEW: मसाला पॉपकॉर्न का बड़ा टब है ‘वीरे दी वेडिंग’

रेटिंगः 2.5 स्टार
डायरेक्टरः शशांक घोष
कलाकारः  करीना कपूर खान, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तल्सानिया और सुमित व्यास

‘सिगरेट पीना सेहत और चरित्र- दोनों के लिए हानिकारक है!’ यह बात सिर्फ इस फिल्म का एक किरदार ही दूसरे किरदार से नहीं कहता, पूरी फिल्म ही दर्शकों से कहती है। चरित्र मापने के ‘सिगरेट’, ‘छोटे कपड़े’, ‘पार्टी करने की आदत’,‘बातचीत में गालियों का इस्तेमाल’ जैसे चर्चित पैमानों को कठघरे में खड़ा करती है। फिल्म के किरदार, यानी अपनी शर्तों पर जीने वाली चार बिंदास लड़कियां- बिना किसी फिल्टर के एक-दूसरे से बातें करती हैं। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां उदासी भी खूबसूरत लगती है, इसमें अगर कमी है, तो एक सुलझी हुई प्रभावी कहानी की। रेटिंगः 2.5 स्टार डायरेक्टरः शशांक घोष कलाकारः  करीना कपूर खान, सोनम कपूर, स्वरा भास्कर, शिखा तल्सानिया और सुमित व्यास  ‘सिगरेट पीना सेहत और चरित्र- दोनों के लिए हानिकारक है!’ यह बात सिर्फ इस फिल्म का एक किरदार ही दूसरे किरदार से नहीं कहता, पूरी फिल्म ही दर्शकों से कहती है। चरित्र मापने के ‘सिगरेट’, ‘छोटे कपड़े’, ‘पार्टी करने की आदत’,‘बातचीत में गालियों का इस्तेमाल’ जैसे चर्चित पैमानों को कठघरे में खड़ा करती है। फिल्म के किरदार, यानी अपनी शर्तों पर जीने वाली चार बिंदास लड़कियां- बिना किसी फिल्टर के एक-दूसरे से बातें करती हैं। यह एक ऐसी दुनिया है, जहां उदासी भी खूबसूरत लगती है, इसमें अगर कमी है, तो एक सुलझी हुई प्रभावी कहानी की।     कहानी... वीरे पंजाबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘ब्रो’, यानी भाई। तो चलिए, मिलते हैं, खुद को सीना चौड़ा कर ‘वीरे’ कहने वाली इस चौकड़ी से। दल की पहली सदस्या हैं कालिंदी (करीना कपूर) जिन्हें यूं तो शादी में यकीन नहीं है, पर जो अपने प्रेमी ऋषभ (सुमित व्यास) की खातिर शादी करने को राजी हो जाती हैं। दूसरी सदस्या हैं अवनी (सोनम कपूर आहूजा) जो पेशे से वकील हैं और खुद हथियार डालने के बाद अब मां की पसंद के लड़के देख रही हैं। साक्षी (स्वरा भास्कर) जिनका तलाक होने वाला है और जो अपने मोहल्ले की आंटियों की चुगलियों से परेशान आ चुकी हैं। चौथी सदस्या हैं मीरा (शिखा तल्सानिया) जिनके फिरंगी पति (एडवर्ड सॉनेनब्लिक) को उनके सिख परिवार ने अब तक स्वीकार नहीं किया है। मीरा का दो साल का एक बेटा भी है। चारों की मुलाकात होती है कालिंदी की शादी के मौके पर। जैसा कि अपेक्षित है, शादी के दौरान इनकी जिंदगियों की कुछ उलझी हुई गांठें सामने आती हैं और फिल्म खत्म होते-होते सुलझ जाती हैं। फिल्म फार्महाउस में होने वाली शादियों और करोड़ों की डेस्टिनेशन वेडिंग्स आदि पर भी तंज कसती है। ‘इटैलियन खाना खिलाएंगे, भले ही बाद में खुद जेल का खाना-खाना पड़े!’ जैसे संवाद इसमें खास भूमिका निभाते हैं।   एक्टिंग.. एक्टिंग के मामले में स्वरा भास्कर और शिखा तल्सानिया, बाकी दोनों अभिनेत्रियों पर भारी पड़ी हैं, हालांकि इसमें बड़ा योगदान उन चटपटे संवादों का भी है, जो उनके हिस्से में आए। सोनम ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है, हालांकि उनके हिस्से के डायलॉग ज्यादा दमदार नहीं हैं। करीना कपूर खान का रोल फिल्म में सबसे बड़ा है। अपनी भूमिका में वह फिट तो लगी हैं, पर कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग की शिकार भी नजर आई हैं। सुमित व्यास ने अच्छा काम किया है, हालांकि उनका रोल और दमदार हो सकता था। आयशा रजा, विवेक मुशरान, मनोज पाहवा आदि कलाकारों ने अपना काम बखूबी निभाया है।  फिल्म की कमी... वीरे दी वेडिंग की सबसे बड़ी कमी वह कहानी है, जो इसे ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘दिल चाहता है’ की फेहरिस्त में खड़ा कर सकती थी। इसे देखते हुए इन फिल्मों की यादें ताजा होती हैं, इसमें भावुक कर देने वाले पल भी आते हैं। पर सही दिशा के अभाव में यह मनोरंजन के तमाम मसालों से लैस होते हुए भी दर्शक मन में ‘कुछ कमी रह गई’ वाला भाव सौंपते हुए खत्म हो जाती है। हालांकि फिल्म मनोरंजन करने में कामयाब रहती है। फिल्म में गालियों की भरमार है पर एक ‘ए सर्टिफिकेट’ फिल्म के लिहाज से इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।    फिल्म के गाने सुनने से ज्यादा देखने में अच्छे लगते हैं। ‘तारीफां’ गीत बेहद दिलचस्प है, जिसमें चारों अभिनेत्रियों ने बादशाह की आवाज के साथ लिप सिंक किया है और इसका फिल्मांकन भी काफी रोचक है। इसके अलावा ‘भंगड़ा ता सजदा’ गीत का फिल्मांकन भी बेहद खूबसूरत है।   संगीत...  फिल्म के संगीत की बात करें तो संगीत कहानी के अनुरूप है। सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन हैं जो फ़िल्म के लुक को बहुत खूबरसूरत बनाती है। फ़िल्म के वन लाइनर्स हंसाते हैं। फिल्म के डायलॉग्स बोल्डनेस से भरपूर है। इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि जब पुरुष अपनी इच्छाओं को जगजाहिर कर सकते हैं, बिना किसी रोक टोक के तो महिलाएं क्यों नहीं?  

कहानी…
वीरे पंजाबी भाषा का शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘ब्रो’, यानी भाई। तो चलिए, मिलते हैं, खुद को सीना चौड़ा कर ‘वीरे’ कहने वाली इस चौकड़ी से। दल की पहली सदस्या हैं कालिंदी (करीना कपूर) जिन्हें यूं तो शादी में यकीन नहीं है, पर जो अपने प्रेमी ऋषभ (सुमित व्यास) की खातिर शादी करने को राजी हो जाती हैं। दूसरी सदस्या हैं अवनी (सोनम कपूर आहूजा) जो पेशे से वकील हैं और खुद हथियार डालने के बाद अब मां की पसंद के लड़के देख रही हैं। साक्षी (स्वरा भास्कर) जिनका तलाक होने वाला है और जो अपने मोहल्ले की आंटियों की चुगलियों से परेशान आ चुकी हैं। चौथी सदस्या हैं मीरा (शिखा तल्सानिया) जिनके फिरंगी पति (एडवर्ड सॉनेनब्लिक) को उनके सिख परिवार ने अब तक स्वीकार नहीं किया है। मीरा का दो साल का एक बेटा भी है। चारों की मुलाकात होती है कालिंदी की शादी के मौके पर। जैसा कि अपेक्षित है, शादी के दौरान इनकी जिंदगियों की कुछ उलझी हुई गांठें सामने आती हैं और फिल्म खत्म होते-होते सुलझ जाती हैं। फिल्म फार्महाउस में होने वाली शादियों और करोड़ों की डेस्टिनेशन वेडिंग्स आदि पर भी तंज कसती है। ‘इटैलियन खाना खिलाएंगे, भले ही बाद में खुद जेल का खाना-खाना पड़े!’ जैसे संवाद इसमें खास भूमिका निभाते हैं।

 एक्टिंग..
एक्टिंग के मामले में स्वरा भास्कर और शिखा तल्सानिया, बाकी दोनों अभिनेत्रियों पर भारी पड़ी हैं, हालांकि इसमें बड़ा योगदान उन चटपटे संवादों का भी है, जो उनके हिस्से में आए। सोनम ने अपने किरदार के साथ पूरा न्याय किया है, हालांकि उनके हिस्से के डायलॉग ज्यादा दमदार नहीं हैं। करीना कपूर खान का रोल फिल्म में सबसे बड़ा है। अपनी भूमिका में वह फिट तो लगी हैं, पर कहीं-कहीं ओवरएक्टिंग की शिकार भी नजर आई हैं। सुमित व्यास ने अच्छा काम किया है, हालांकि उनका रोल और दमदार हो सकता था। आयशा रजा, विवेक मुशरान, मनोज पाहवा आदि कलाकारों ने अपना काम बखूबी निभाया है।

फिल्म की कमी…
वीरे दी वेडिंग की सबसे बड़ी कमी वह कहानी है, जो इसे ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ और ‘दिल चाहता है’ की फेहरिस्त में खड़ा कर सकती थी। इसे देखते हुए इन फिल्मों की यादें ताजा होती हैं, इसमें भावुक कर देने वाले पल भी आते हैं। पर सही दिशा के अभाव में यह मनोरंजन के तमाम मसालों से लैस होते हुए भी दर्शक मन में ‘कुछ कमी रह गई’ वाला भाव सौंपते हुए खत्म हो जाती है। हालांकि फिल्म मनोरंजन करने में कामयाब रहती है। फिल्म में गालियों की भरमार है पर एक ‘ए सर्टिफिकेट’ फिल्म के लिहाज से इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।  

फिल्म के गाने सुनने से ज्यादा देखने में अच्छे लगते हैं। ‘तारीफां’ गीत बेहद दिलचस्प है, जिसमें चारों अभिनेत्रियों ने बादशाह की आवाज के साथ लिप सिंक किया है और इसका फिल्मांकन भी काफी रोचक है। इसके अलावा ‘भंगड़ा ता सजदा’ गीत का फिल्मांकन भी बेहद खूबसूरत है। 

संगीत…

फिल्म के संगीत की बात करें तो संगीत कहानी के अनुरूप है। सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन हैं जो फ़िल्म के लुक को बहुत खूबरसूरत बनाती है। फ़िल्म के वन लाइनर्स हंसाते हैं। फिल्म के डायलॉग्स बोल्डनेस से भरपूर है। इस फिल्म में दिखाने की कोशिश की गई है कि जब पुरुष अपनी इच्छाओं को जगजाहिर कर सकते हैं, बिना किसी रोक टोक के तो महिलाएं क्यों नहीं?

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