आपके लोन की ईएमआई अब और कम होने वाली है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट में 0.35 फीसदी (0.35%) की कटौती कर दी है। इस तरह RBI ने लगातार चौथी बार रेपो रेट को कम किया है। केंद्रीय बैंक ने आज आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति बैठक में यह फैसला लिया है। यह तीन दिवसीय बैठक आज समाप्त हुई है। इस तरह बेंचमार्क रेट अब अप्रैल 2010 के बाद के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गई है। आरबीआई के इस फैसले के साथ ही रेपो रेट अब 5.75 फीसदी से घटकर 5.40 फीसदी पर आ गई है। इस बदलाव से अब होम लोन सहित दूसरे लोन के सस्ते होने का रास्ता खुल गया है।
रेपो रेट में तीसरी बार जब कमी की गई थी, तो विशेषज्ञों का मानना था कि अब आरबीआई अगली मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है, लेकिन घरेलू व वैश्विक एजेंसियों द्वारा वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी का अनुमान लगातार घटाने से हाल ही में इस बात के संकेत मिले थे की आरबीआई रेपो रेट फिर से घटा सकता है। उद्योग जगत भी यह आशा कर रहा था की आरबीआई 0.25 से 0.50 फीसद तक रेपो रेट में कमी कर सकता है।
सकल मांग और निजी निवेश को बढ़ाना आरबीआई नीति समीक्षा में उच्च प्राथमिकता पर रहा है। इस बैठक में नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर सिस्टम (एनईएफटी) को लेकर यह घोषणा हुई है कि इस साल दिसंबर से अब यह सुविधा सातों दिन और 24 घंटे उपलब्ध रहेगी। आरबीआई का अगला मौद्रिक नीति स्टेटमेंट 4 अक्टूबर को आएगा।
क्या है रेपो रेट
रेपो रेट वह रेट होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन लेते हैं। भारतीय रिज़र्व बैंक रेपो रेट में कटौती करके बैंकों को यह संदेश देता है कि उन्हें आम लोगों और कंपनियों के लिए लोन को सस्ता करना चाहिए।
रेपो रेट कम होते ही शेयर बाजार में गिरावट
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में कमी करने का असर शेयर बाजार में भी देखा गया है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स रेपो रेट में कटौती की घोषणा होते ही करीब 100 अंक गिर गया। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में 40 अंकों की कमी देखी गई।