आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को कहा कि भारत में न केवल आर्थिक विकास में मजबूत आ रही है बल्कि विवेकपूर्ण नीति के चलते मुद्रास्फीति भी नियंत्रण में है। दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक सतर्क है और मौद्रिक नीति महंगाई को रोकने के साथ विकास का भी समर्थन कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि युवा आबादी के साथ भारत वैश्विक विकास का नया इंजन बन गया है।
सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति दो प्रतिशत की घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बनी रहे। टोक्यो स्थिति टोक्यो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में इंस्टीट्यूट आफ इंडियन इकोनॉमिक स्टडीज द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर आयोजित संगोष्ठी में दास ने कहा कि यह संतोष की बात है कि भारतीय अर्थव्यवस्था झटकों से पार पाने में कामयाब रही है।
कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत ही संतुलित रही है। उन्होंने कहा कि व्यापक आर्थिक बुनियादी सिद्धांतों को मजबूत करने पर नीतिगत फोकस और निरंतर सुधारों ने भारत के आर्थिक विकास को दुनियाभर में विशिष्ट बना दिया है। दास ने कहा कि 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई और जो संकेत मिल रहे हैं, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि यह तेजी आगे भी बरकरार रहेगी। चालू वित्त वर्ष के लिए आरबीआई ने 6.5 प्रतिशत के विकास दर का अनुमान लगाया है।
शीर्ष से 170 आधार अंक घट चुकी है
खुदरा महंगाई मुद्रास्फीति का जिक्र करते हुए दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी अक्टूबर की बैठक में 2023-24 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2022-23 में 6.7 प्रतिशत से कम है। सितंबर में खुदरा महंगाई गिरकर तीन महीने के निचले स्तर पांच प्रतिशत पर आ गई है। अक्टूबर के आंकड़े 13 नवंबर को जारी किए जाएंगे। दास ने कहा कि जनवरी, 2023 में खुदरा महंगाई शीर्ष पर थी तब से लेकर अब तक इसमें 170 आधार अंकों की कमी आ चुकी है।
यूपीआई ने फिनटेक क्रांति में निभाई अभूतपूर्व भूमिका दास ने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने भारत में फिनटेक क्रांति में अभूतपूर्व भूमिका निभाई है। इसकी सफलता की कहानी वास्तव में एक अंतरराष्ट्रीय मॉडल बन गई है। उन्होंने कहा कि मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से बैंक खातों के बीच तुरंत धन हस्तांतरित करने की इसकी क्षमता ने लोगों के डिजिटल लेनदेन के तरीके को बदल दिया है। अब यूपीआई को अन्य देशों की भुगतान प्रणालियों के साथ जोड़ने का भी काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फिनटेक द्वारा स्व-नियमन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।