पंजाब नेशनल बैंक में 12300 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला सामने आने के बाद लगातार एक्शन का दौर जारी है. एक तरफ जहां सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) अपने स्तर पर कार्रवाई कर रहा है, वहीं अब आरबीआई ने भी कमान संभाल ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में वित्तीय संस्थाओं की निगरानी करने वाली संस्थाओं के प्रति सख्त रवैया अपनाया था. पीएम मोदी के इस रवैया के कुछ दिनों बाद ही केंद्रीय बैंक ने यह एक्शन लिया है.
क्या कहा था पीएम मोदी ने?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि जो भी संस्थाएं वित्तीय संस्थानों की निगरानी कर रही हैं या फिर जो वित्तीय लेन-देन पर नजर रखती हैं. उन्हें चाहिए कि वे अनियमितताओं के खिलाफ एक्शन लें. उन्होंने कहा था कि वित्तीय गड़बड़ियों के मामले में मोदी सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी. पीएनबी घोटाला और नीरव मोदी का मामला सामने आने के बाद पीएम मोदी ने पिछले महीने यह बात कही थी.
पीएम मोदी के इस रवैये के बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों के विशेष ऑडिट की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. इस ऑडिट में केंद्रीय बैंक का फोकस बैंकों की तरफ से अलग-अलग कारोबारियेां को जारी किए गए लेटर ऑफ इंटेंट (LoU) को लेकर है. इसमें बकाया राशि की जानकारी भी मांगी गई है.
सूत्रों के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक यह भी देखेगा कि बैंकों के पास ऋण सीमा की पहले से अनुमति थी या नहीं. इसके अलावा गारंटी पत्र जारी करने से पहले क्या बैंकों के पास जरूरी मार्जिन था कि नहीं.
बता दें कि पंजाब नेशनल बैंक में सामने आए घोटाले में LoU ने सबसे अहम भूमिका निभाई है. यह पूरा घोटाला फर्जी LoU के बूते दूसरे बैंकों से पैसे लिए जाने का है. इस ऑडिट के जरिये आरबीआई इस घोटाले की परतें खोलने की कोशिश करेगा. इसके साथ ही बैंकों की जिम्मेदारी तय करने पर भी कोई फैसला लिया जाएगा.
LoU क्या है?
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) एक तरह से बैंक गारंटी होती है. यह आयात के लिए ओवरसीज भुगतान करने के लिए जारी किया जाता है. LoU जारी करने वाला बैंक गारंटर बन जाता है और वह अपने क्लाइंट के लोन पर प्रिंसिपल अमाउंट और उस पर लगने वाले ब्याज को बेशर्त भुगतान करना स्वीकार करता है.
जब LoU जारी किया जाता है तो इसमें इसे जारी करने वाला बैंक, स्वीकार करने वाला बैंक, आयातक और विदेश में इससे लाभान्वित होने वाली कंपनी शामिल होती है. पीएनबी के मामले में फर्जी LoU हासिल किए गए और इन्हीं के आधार पर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों की विदेशी शाखाओं से लोन लिए गए थे.
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