पंजाब के सरकारी डाक्टरों की उचित मांगों को पूरा न करने को लेकर सरकार के प्रति गुस्साए डाक्टरों की यूनियन पंजाब सिविल मैडीकल सर्विसेज एसोसिएशन (पी.सी.एम.एस) की काल को लेकर सभी डाक्टर गंभीर दिखाई दे रहे हैं। निर्धारित योजना के तहत 9 सितम्बर को पंजाब के सभी सरकारी अस्पतालों में ओ.पी.डी. बंद करने को लेकर तैयारियां कर रहे हैं। सिविल अस्पताल में डाक्टरों ने आने वाले मरीजों को पैम्फलेट बांटे जिसमें साफ लिखा था कि हड़ताल का कारण सरकार को जगाना है, क्योंकि डाक्टरों की कमी के कारण लोगों को वह सेहत सुविधा नहीं मिल रही जोकि उन्हें मिलनी चाहिए।
पंजाब में तैनात सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों पर काम का बोझ बहुत है, डाक्टरों की कमी के कारण ओ.पी.डी के बाहर मरीजों की लम्बी लाईने। मरीज को आप्रेशन करवाने के लिए कई दिनों तक प्रतिक्षा करनी पड़ती है। इसके साथ मरीजों से भरे वार्ड, गैर डाक्टरी कामों के कारण डाक्टरों का मरीजों को न मिल पाना।
सिर्फ एमरजैंसी सेवाए ही रहेंगी जारी: डा. हरवीन कौर
वही पी.सी.एम.एस. एसोसिएशन की जालंधर की मीडिया सैक्टरी व एमरजैंसी विभाग की इंचार्ज डा. हरवीन कौर ने बताया कि पहले बने अस्पतालों में डाक्टरों की नियमित भर्ती की जाए मात्र 400 डाक्टरों की पोस्टे का विज्ञापन देने के साथ बात नहीं बनती, बल्कि 75 प्रतिशित मौजूद पोस्टों को तत्काल सेहत ढांचे को बचाया जा सके। डाक्टरों के काटे भत्ते जैसे की ए.सी.पी के लाभ तथा बनते बकाए आदि को बहाल किया जाए।
डाक्टरों व सेहत स्टाफ की सुरक्षा का प्रबंध किया जाए। डा. हरवीन कौर ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में सिर्फ एमरजैंसी सेहत सुविधाए ही जारी रहेंगी, क्योंकि गंभीर मरीज की जान बचानी डाक्टर की जिम्मेदारी होती है। 9 सितम्बर के बाद जैसा उनकी एसोसिएशन अगला फैसला लेगी उसके आधार पर अगली संघर्ष की रणनीति तैयार होगी।
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