शिरोमणि अकाली दल में अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के खिलाफ बगावत तेज होती जा रही है। पार्टी ने बागी गुट के आठ नेताओं का पार्टी से बाहर निकाल दिया था। इसके खिलाफ भी आवाज उठने लगी है।
शिरोमणि अकाली दल में बगावत बढ़ती जा रही है। शिअद के वरिष्ठ नेता सुखदेव सिंह ढींढसा ने कहा है कि वह पार्टी के सरपरस्त होने के नाते आठ बागी नेताओं और सात विधानसभा हलका प्रभारियों को पार्टी से निकलाने को फैसले को रद्द करते हैं। उन्होंने कहा कि अनुशासन कमेटी का फैसला असांविधानिक है। यही कारण है कि उनको आगे आकर अब ये फैसला लेना पड़ा है।
बैठक में ढींडसा ने कहा कि ये सभी नेता पार्टी में सुधार के लिए काम कर रहे हैं, ऐसे में ये अनुशासहीनता कैसे हो सकती है। उन्होंने कहा कि पार्टी की गिरती साख और बेअदबी के आरोपों पर गिरे सुखबीर बादल अब प्रधान रहने के लायक है, इसलिए उनको तुरंत अपना पद छोड़ना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अनुशासन कमेटी को फैसले को लेकर वह सुखबीर सिंह बादल को पत्र भी लिखेंगे, जिमसें उनसे इस मामले को लेकर जवाब मांगेंगे। पार्टी का प्रधान चुनने के लिए जनरल इजलास बुलाएंगे, जिसमें नया प्रधान चुना जाएगा। ढींढसा ने कहा कि वह आज तक लोगों के सामने नहीं आए थे, लेकिन अब मजबूरी में उन्हें यह फैसला लेना पड़ा है।
झूंदा कमेटी ने की थी प्रधान बदलने की सिफारिश
इस मौके गुरप्रताप वडाला और प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा जब 2022 में लगातार शिरोमणि अकाली दल चुनाव हार रहा था तो उस समय झूंदा कमेटी का गठन किया गया था। कमेटी ने सारे पंजाब में लोगों की राय ली थी। लोगों ने उस समय अकाली दल की लीडरशिप में बदलाव की सिफारिश की थी। सुखबीर बादल को पद त्यागना चाहिए। हम भी कमेटी की सिफारिश वाली बात कर रहे हैं। हम तो कमेटी के मुताबिक काम करने की बात कर रहे हैं।
सुखबीर पर लगे आरोप गंभीर, प्रधान पद लायक नहीं
दोनों नेताओ ने कहा कि हम लोग दो महीने से अकाली दल सुधार लहर चला रहे हैं। लेकिन जब प्रदीप कलेर ने गत दिवस सुखबीर बादल पर सवा उठाया तो लोगों को ध्यान भटकाने के लिए उन्हें पार्टी से निकालने की कोशिश की। वहीं, उन्होंने कहा कि जिस तरह के आरोप सुखबीर बादल पर लगे हैं, ऐसे में वह प्रधान पद के लायक नहीं है। उन्होंने अकाल तख्त साहिब के आदेशों को भी नहीं माना है। अब तो सारी बात सामने आ गई हैं।