पंजाब में दो खालिस्तानी समर्थक बने सांसद

जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख अमृतपाल सिंह और फरीदकोट से सरबजीत सिंह खालसा ने लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की है। 

पंजाब में लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं। सूबे में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी हैं लेकिन दो सीटों के परिणाम ने सबको चौंका दिया है। फरीदकोट और खडूर साहिब लोकसभा सीट से दो गर्मपंथी जीतकर सांसद में पहुंचे हैं।

माझा और मालवा इलाकों में गर्मख्याली नेताओं का दबदबा बनता जा रहा है। 2019 के आम चुनावों की तुलना में इस बार कहीं अधिक ऐसे उम्मीदवार लोकसभा चुनाव लड़े, जो खालिस्तानी विचारधारा के समर्थक हैं। पंजाब के नतीजे चौंकाने वाले भी हैं क्योंकि दो गर्मख्याली चुनाव जीत गए हैं। हालांकि खालिस्तानी समर्थक अकाली दल (अमृतसर) के सिमरनजीत सिंह मान चुनाव हार गए हैं।

जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ प्रमुख अमृतपाल सिंह सहित आठ अलगाववादी कट्टरपंथी सिख विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें से दो करनाल और कुरुक्षेत्र निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। वारिस पंजाब के मुखी व आठ अपराधिक केसों के अलावा एनएसए का सामना कर रहे अमृतपाल सिंह के अलावा सर्बजीत सिंह खालसा फरीदकोट से चुनाव जीत गए हैं।

दरअसल, दो साल पहले संगरूर लोकसभा सीट के लिए हुए उपचुनाव में सिमरनजीत सिंह मान की जीत ने खालिस्तानी विचारधारा के प्रति सहानुभूति रखने वाले और अधिक लोगों को चुनाव मैदान में कूदने के लिए प्रेरित किया था। भगवंत सिंह मान के मुख्यमंत्री बनने के कारण संगरूर सीट खाली हुई थी, जिस पर 2022 में उपचुनाव हुआ था। सिमरनजीत सिंह मान ने पंजाब में सत्तारूढ़ आप के गुरमेल सिंह को 5,822 वोटों के अंतर से हराया था। मान ने इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन वह पंजाब के मंत्री मीत हेयर से हार गए। इस बार सिमरनजीत सिंह मान अकेले चुनाव नहीं लड़े बल्कि उन्होंने विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों से छह और उम्मीदवार उतारे थे। खुशालपाल सिंह मान, बलदेव सिंह गागरा, अमृतपाल सिंह चंद्रा और मोनिंदरपाल सिंह क्रमशः आनंदपुर साहिब, फरीदकोट, लुधियाना और पटियाला से चुनाव मैदान में थे। जबकि हरजीत सिंह विर्क और खजान सिंह को करनाल और कुरुक्षेत्र सीट से मैदान में उतारा गया था। मान 1 लाख 86 हजार 246 मत मिले हैं। वहीं अमृतपाल सिंह को 3 लाख 62 हजार मत मिले। इसके अलावा सर्बजीत सिंह खालसा 2, 96 हजार 922 मत मिले हैं। यह सीट मालवा में है जबकि खडूर साहिब माझा में।

चौथी बार मैदान में उतरे थे सरबजीत खालसा
फरीदकोट में एक अन्य खालिस्तानी समर्थक सरबजीत सिंह चुनाव जीते हैं, जो इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह के बेटे हैं। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है और अपना चौथा चुनाव लड़ा। सरबजीत ने पहले फतेहगढ़ साहिब और बठिंडा से चुनाव लड़ा था और अपने प्रतिद्वंद्वियों से हार गए थे। वह अमृतपाल सिंह के अनुयायी हैं और उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है।

सिमरनजीत सिंह मान 2022 का उपचुनाव जीतने में सफल रहे।1989 में उनके समर्थकों ने छह लोकसभा सीटें जीतीं। बाद में मान ने संगरूर से 1999 का लोकसभा चुनाव जीता। पंजाब में गर्मख्यालियों की जीत से एजेंसियां सकते में हैं। पंजाब एक सरहदी प्रदेश है, जहां की 553 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से सटी हुई है। एजेंसियों के उच्चपदस्थ अधिकारी व सूत्र पंजाब में अपना नेटवर्क मजबूत करने की सोच रहे हैं। अमृतपाल सिंह तो खुलेआम खालिस्तान की मांग करता रहा है। पंजाब में गर्मख्यालियों का वोट बढ़ने से सुरक्षा अधिकारियों की चिंता बढ़ना स्वभाविक है।

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