PM मोदी ने लॉकडाउन 4.0 का किया इशारा अब दिया नया नारा, जन से जग तक

कोरोना वायरस महासंकट के बीच देश में लागू लॉकडाउन को लेकर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने गहन चर्चा की. लॉकडाउन 3.0 की मियाद 17 मई को पूरी हो रही है, ऐसे में हर किसी के मन में सवाल था कि क्या इसे बढ़ाया जा सकता है.

मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में से जो संकेत आ रहे हैं वो देश में लॉकडाउन 4.0 का इशारा कर रहे हैं. हालांकि, ये पहले से काफी अलग होगा और राज्यों को काफी ताकत मिल सकती है.

सोमवार को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के बीच 6 घंटे से लंबी मैराथन बैठक चली. इस दौरान मुख्यमंत्रियों ने अपनी परेशानियों, लॉकडाउन को लेकर राय को पीएम के सामने रखा.

इनमें से महाराष्ट्र, पंजाब, बंगाल और तेलंगाना ऐसे राज्य थे, जिन्होंने लॉकडाउन को बढ़ाने की मांग की. कई अन्य राज्यों ने भी सिर्फ रेड ज़ोन और कंटेनमेंट ज़ोन में सख्ती के लिए हामी भरी.

हालांकि, अगर लॉकडाउन 4.0 आता है तो इस बार आर्थिक गतिविधियों को छूट मिल सकती है जिसमें कई नियम शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा इनको तय करने का हक राज्यों को मिल सकता है, जिसका संकेत मिल रहा है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया नारा दिया, जन से जग तक.

इस बीच प्रधानमंत्री की ओर से राज्यों से प्लान मांगा गया है, जिसमें लॉकडाउन को खोलने, आर्थिक गतिविधियों को चालू रखने और ग्रीन-रेड-ऑरेंज जोन को लेकर सुझाव मांगे गए हैं. कई राज्यों ने इस बात की मांग की थी कि ज़ोन तय करने की ताकत राज्य के हाथ में दे दी जाए.

कई मुख्यमंत्री इस दौरान अलग-अलग राय रखते हुए नज़र आए, जैसे उद्धव ठाकरे ने कहा कि बिना लॉकडाउन के आगे बढ़ना काफी मुश्किल हो सकता है, वहीं ममता बनर्जी ने केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि हर किसी का साथ में होना जरूरी है. तेलंगाना, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने ट्रेन सेवा या विमान सेवा की शुरुआत करने को मना किया.

गौरतलब है कि कोरोना वायरस की वजह से देश में 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. जो 25 मार्च से अभी तक लागू है. लॉकडाउन को तीन बार बढ़ाया जा चुका है, लॉकडाउन 3.0 की अवधि 17 मई को समाप्त हो रही है. इस बीच देश में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 70 हजार के करीब पहुंच गये हैं, जबकि कुल मौतों का आंकड़ा 2200 के पार पहुंच गया है.

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